केरल उच्च न्यायालय ने हिरासत में हुई मौत के मामले में चार पुलिस अधिकारियों को बरी किया
जोहेब मनीषा
- 28 Aug 2025, 01:23 PM
- Updated: 01:23 PM
कोच्चि, 28 अगस्त (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने 2005 में हिरासत में 28 वर्षीय व्यक्ति की मौत होने के मामले में चार पूर्व पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया, जिन्हें 2018 में एक सत्र अदालत ने दोषी करार दिया गया था।
न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन वी. और न्यायमूर्ति के. वी. जयकुमार की पीठ ने चारों की दोषसिद्धि खारिज कर दी, जिनमें से एक को सत्र अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
पीठ ने कहा कि त्रुटिपूर्ण सीबीआई जांच की वजह से अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा।
इस मामले में छह पुलिस अधिकारी आरोपी थे, जिनमें से एक की सत्र अदालत में सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी जबकि मृत्युदंड की सजा पाने वाले एक अन्य व्यक्ति की उच्च न्यायालय में अपील लंबित रहने के दौरान मौत हो गई।
पीठ ने शेष चार आरोपियों को राहत देते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान सत्र अदालत के समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य अभियुक्तों को हिरासत में मौत के अपराध का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे।
पीठ ने कहा, "(सत्र अदालत के) विवादित फैसले में दर्ज निष्कर्ष अनुमानों और अटकलों पर आधारित हैं इसलिए कानून के तहत टिकने योग्य नहीं है।"
उच्च न्यायालय ने सीबीआई द्वारा की गई जांच को "दमनकारी" करार दिया और कहा कि एजेंसी ने घटना से कोई वास्तविक संबंध न रखने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी को सरकारी गवाह बनाकर "पूरी तरह से अवैध प्रक्रिया" अपनाई।
पीड़ित के परिवार के अनुरोध पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
पीठ ने यह भी कहा कि सीबीआई ने सभी गवाहों को अंधाधुंध तरीके से इकट्ठा किया और उन्हें सरकारी गवाह बनने के लिए मजबूर किया।
अभियोजन पक्ष ने कहा था कि तिरुवनंतपुरम के फोर्ट पुलिस थाने से जुड़े दो पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित को 27 सितंबर, 2005 को लगभग रात 2:15 बजे हिरासत में ले लिया था जब वह अपने दोस्त सुरेश कुमार के साथ श्रीकांतेश्वरम पार्क में खड़ा था।
अदालत को यह भी बताया था कि उन्हें फोर्ट पुलिस थाने और उसके बाद पास के सर्कल इंस्पेक्टर के कार्यालय ले जाया गया, जहां उनसे हिरासत में पूछताछ की गई।
बाद में, उसी दिन रात लगभग 11:40 बजे, तिरुवनंतपुरम के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उदयकुमार को मृत घोषित कर दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों जांघों पर लगीं गंभीर चोटों को मौत का कारण माना गया।
भाषा
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