डेनमार्क में समुद्र के बढ़ते जल स्तर के कारण जलमग्न हुई पाषाणकालीन बस्तियों का पता लगाया गया
एपी सुभाष पवनेश
- 27 Aug 2025, 04:30 PM
- Updated: 04:30 PM
अरहुस की खाड़ी (डेनमार्क) , 27 अगस्त (एपी) उत्तरी डेनमार्क में अरहुस की खाड़ी के गहरे नीले पानी के नीचे, पुरातत्वविद 8,500 वर्ष से भी अधिक पहले समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण नष्ट हो चुकी तटीय बस्तियों की खोज कर रहे हैं।
इस ग्रीष्म ऋतु में, गोताखोर डेनमार्क के दूसरे सबसे बड़े शहर अरहुस के निकट समुद्री लहरों से लगभग 8 मीटर (26 फुट) नीचे उतरे और सागर तल से पाषाण युग की बस्तियों के साक्ष्य एकत्र किए।
यह कवायद बाल्टिक और उत्तरी सागर में समुद्र तल के कुछ हिस्सों का मानचित्रण करने के लिए यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित 1.32 करोड़ यूरो (1.55 करोड़ अमेरिकी डॉलर) की छह-वर्षीय अंतरराष्ट्रीय परियोजना का हिस्सा है, जिसमें अरहुस के साथ-साथ ब्रिटेन के ब्रैडफोर्ड विश्वविद्यालय और जर्मनी के लोअर सेक्सोनी इंस्टीट्यूट फॉर हिस्टोरिकल कोस्टल रिसर्च के शोधार्थी भी शामिल हैं।
परियोजना का लक्ष्य डूबे हुए उत्तरी यूरोपीय भू-भाग का पता लगाना और अपतटीय पवन चक्कियों के क्षेत्र तथा अन्य समुद्री अवसंरचना के विस्तार के साथ लुप्त मध्यपाषाणकालीन बस्तियों की खोज करना है।
हिमयुग के बाद विश्व में समुद्र का जलस्तर बढ़ा था। हिमयुग के बाद, बर्फ की विशाल चादरें पिघल गईं और समुद्र का जल स्तर बढ़ गया, जिससे पाषाण युग की बस्तियां जलमग्न हो गईं और आखेटक-संग्राहक मानव आबादी अंतर्देशीय क्षेत्रों में पलायन करने को मजबूर हो गई।
डेनमार्क में समुद्र तल पर खुदाई कार्य का नेतृत्व कर रहे पुरातत्वविद मोई एस्ट्रुप ने बताया कि लगभग 8,500 साल पहले, समुद्र का जल स्तर प्रति शताब्दी लगभग 2 मीटर (6.5 फुट) बढ़ा था।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां, हमारे पास वास्तव में एक पुराना समुद्र तट है। हमारी एक बस्ती है जो समुद्र तट पर स्थित थी। हम वास्तव में यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि तटीय बस्तियों में जनजीवन कैसा था।’’
पुरातत्वविद ने कहा, ‘‘जब समुद्र का जल स्तर बढ़ा, तो उसके नीचे सब कुछ ऑक्सीजन-रहित वातावरण में सुरक्षित रहा... समय बस रुक सा गया।’’
उन्होंने बताया कि समुद्र तल से कुछ पूरी तरह से संरक्षित लकड़ी मिली है।
मोसगार्ड संग्रहालय के वृक्षवलय विशेषज्ञ जोनास ओग्डल जेन्सेन ने पाषाण युग के पेड़ के तने के एक हिस्से को सूक्ष्मदर्शी से देखते हुए कहा, ‘‘हम बहुत सटीक रूप से बता सकते हैं कि तटरेखा पर इन पेड़ों का आखिरी समय क्या था। इससे हमें पता चलता है कि समय के साथ-साथ समुद्र का जलस्तर कैसे बढ़ा।’’
वर्तमान में, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है, ऐसे में शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि वे इस बात का पता लगा सकेंगे कि पाषाण युग के दौरान लोगों ने बदलती तटरेखाओं के साथ अपना अनुकूलन कैसे किया था।
एपी सुभाष