बचपन में शर्मीला था, सोचा नहीं था अंतरिक्ष की यात्रा करूंगा: शुभांशु शुक्ला
धीरज पारुल
- 24 Aug 2025, 07:56 PM
- Updated: 07:56 PM
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने रविवार को कहा कि वह बचपन में “शर्मीले और संकोची स्वभाव” के थे तथा राकेश शर्मा की 1984 की अंतरिक्ष यात्रा की कहानियों को सुनकर बड़े हुए हैं।
राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री शुक्ला रविवार को स्कूली छात्रों से मिले और उन्हें प्रोत्साहित किया।
दिल्ली के सुब्रतो पार्क स्थित वायुसेना सभागार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्ला और ‘गगनयान’ मिशन के लिए चुने गए तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को सम्मानित किया।
अपने जानने वालों के बीच ‘शुक्स’ के नाम से चर्चित शुक्ला ने कार्यक्रम में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में शामिल होने के अपने सफर और ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने के अनुभवों एवं चुनौतियों को साझा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं शर्मीले और संकोची स्वभाव का व्यक्ति था। बचपन में हम राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा की कहानियां सुना करते थे।’’
शुक्ला ने अपने जीवन में आए बदलाव का श्रेय भारतीय वायु सेना को देते हुए कहा कि सामान्य रूप से भारतीय वायु सेना और विशेष रूप से कॉकपिट उनके जीवन में महान शिक्षक रहे हैं।
मंच पर और मंच के नीचे हर कोई उन्हें सुनने के लिए, उनसे मिलने के लिए आतुर था तथा सभी मुक्त स्वर से उनकी प्रशंसा कर रहे थे। इस दौरान शुक्ला के व्यक्तित्व का दयालु और पारिवार का ख्याल रखने वाला पहलू भी सामने आया, जब सेल्फी और ऑटोग्राफ लेने वालों की उत्साहित भीड़ के बीच भी, वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि पत्नी और छोटा बेटा उनके पास ही रहें।
लखनऊ में जन्मे शुक्ला (40) साधारण पृष्ठभूमि में पले-बढ़े। वह असैन्य परिवार से आते थे, लेकिन उन्होंने भारतीय वायु सेना में शामिल होने का फैसला किया।
शुक्ला ने लगभग 30 मिनट के संबोधन में कहा, ‘‘शुरू में मेरा रक्षा बल का हिस्सा बनने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन मैं वायु सेना में शामिल हो गया। मैंने एक फॉर्म भरा, जो मेरे दोस्त ने खरीदा था। अंततः चीजें आगे बढ़ती गईं और मैं एनडीए (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) में पहुंच गया।’’
उन्होंने कहा कि वायुसेना का प्रशिक्षण आपको ‘‘जीवन में आने वाली हर चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार करता है।’’
देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री ने कहा, ‘‘यह आपको जीवन के लिए तैयार करता है, यह आपको सफलता के लिए तैयार करता है।’’
शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने। वह ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत 20 दिनों के अंतरिक्ष प्रवास के बाद पिछले महीने अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ धरती पर लौटे।
शुक्ला ने बृहस्पतिवार को ‘साउथ ब्लॉक’ में राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपनी अंतरिक्ष यात्रा, कक्षा में किए गए प्रयोगों और भारत के अग्रणी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ पर चर्चा की।
शुक्ला ने अंतरिक्ष की कक्षा में रहते हुए ‘‘सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण संबंधी चुनौतियों’’ से जुड़े कुछ हास्य-व्यंग्यपूर्ण किस्से भी साझा किए। उन्होंने कक्षा से एक दिन में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखने के अनुभव का भी जिक्र किया।
शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष यान से पृथ्वी के रात्रि दृश्य का एक वीडियो साझा किया, जिसमें भारत के कुछ हिस्से भी दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह संभवतः ‘‘सबसे खूबसूरत दृश्यों में से एक’’ है, जिसे कोई देख सकता है।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के वाणिज्यिक मिशन के एक हिस्से के रूप में शुक्ला की यात्रा से भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ की महत्वाकांक्षा को पूरा करने तथा उसके तुरंत बाद भारत अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण के लिए आधार तैयार करने में मदद मिली है।
शुक्ला ने कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह मिशन (एक्सिओम-4) हमारे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो सही समय पर हासिल हुई है। भारत अपने मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र और अंततः चंद्रमा पर उतरने की राह पर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस (एक्सिओम-4) मिशन से हमने जो कुछ भी सीखा है, मुझे लगता है कि वह हमारे मिशन के लिए बहुत ही अनूठा और महत्वपूर्ण है। आने वाले महीनों और वर्षों में हमारा प्रयास उन सीखों को अपने मिशन में लागू करना होगा।’’
शुक्ला ने कहा कि लेकिन सबसे बड़ा पहलू जो ‘‘मुझे खुशी दे रहा है, वह है लोगों का प्यार और उत्साह’’, तथा इस मिशन के लिए उनका समर्थन।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में वह जिज्ञासा पैदा हो गई है। अब हमें इसे आगे बढ़ाना है। एक-एक करके, हमें सभी मिशन को पूरा करना है। बहुत जल्द, हमें भारतीय धरती से एक भारतीय रॉकेट के माध्यम से एक भारतीय कैप्सूल में एक भारतीय को अंतरिक्ष में भेजना है।’’
शुक्ला ने कहा कि यह संदेश भारतीय युवाओं के लिए है।
उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर है। हमारी महत्वाकांक्षाएं सही दिशा में हैं, हमारे सपने बड़े हैं और अब हमें उन सपनों को साकार करने के लिए आपकी जरूरत है। इसलिए, जिज्ञासु बने रहें और इस क्षेत्र में अन्वेषण करते रहें।’’
शुक्ला ने लोगों से ‘‘विचलन के इस युग में विवेक का अभ्यास करने’’ का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘एकाग्र रहें, संभावनाएं अनंत हैं।’’
इस कार्यक्रम में भारतीय वायु सेना के अंतर्गत आने वाले दिल्ली के तीन स्कूलों के 100 से अधिक छात्र शामिल हुए।
एयर फोर्स स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र जय वशिष्ठ (16) ने गर्व से अपने क्लास प्रीफेक्ट का बैज दिखाते हुए कहा कि वह ‘‘अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला’’ से मिलकर भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।
वशिष्ठ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वह अब मेरे आदर्श हैं। मैं भी उनकी तरह बनना चाहता हूं, वायु सेना में शामिल होना चाहता हूं और लड़ाकू विमान का पायलट बनना चाहता हूं। उनकी यात्रा ने हमें प्रेरित किया है।’’
वशिष्ठ के पिता भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद अब बैंकिंग क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वशिष्ठ ने कहा कि उसका एक दोस्त डॉक्टर बनने के सपने देखता था, लेकिन अब वह भी सशस्त्र बलों में शामिल होना चाहता है।
कार्यक्रम में शामिल 11वीं कक्षा की छात्रा अश्विना त्रिपाठी (16) ने कहा कि शुक्ला को आमने-सामने देखकर और उनकी यात्रा के बारे में सुनकर काफी खुशी एवं प्रेरणा मिली।
भाषा धीरज