जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से जुड़े स्कूलों को नियंत्रण में लिया
प्रीति पवनेश
- 23 Aug 2025, 06:08 PM
- Updated: 06:08 PM
श्रीनगर, 23 अगस्त (भाषा) अधिकारियों ने पुलिस के दलों ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) से संबद्ध 215 स्कूलों का शनिवार को दौरा किया। सरकार द्वारा कश्मीर के 10 जिलों में स्थित इन स्कूलों का प्रबंधन अपने नियंत्रण में लिये जाने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया।
अधिकारियों के अनुसार, पूरी प्रक्रिया छात्रों की पढ़ाई में बाधा डाले बिना “शांतिपूर्ण एवं सुचारू रूप से” संपन्न हुई।
स्कूल शिक्षा विभाग ने जेईआई और उसके फलाह-ए-आम ट्रस्ट से जुड़े 215 स्कूलों को अपने नियंत्रण में लेने का शुक्रवार को आदेश दिया था। इन स्कूलों में 51,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं।
अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन के अधिकारी, संबंधित उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य पुलिस टीम के साथ इन स्कूलों में शनिवार सुबह पहुंचे। प्रशासनिक टीम ने स्कूलों का कार्यभार संभाला, उनके दस्तावेज और बुनियादी ढांचे की जांच की। साथ ही कर्मचारियों से बातचीत भी की।
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अपनी पार्टी ने सरकार के इस फैसले की निंदा की और इसे “प्रशासनिक अतिक्रमण” करार दिया।
प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के पूर्व सदस्यों द्वारा गठित न्याय एवं विकास मोर्चा (जम्मू-कश्मीर) ने सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस के “विश्वासघात के इतिहास’’ की ‘‘दर्दनाक याद’’ दिलाता है।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ पार्टी “अपने ही लोगों के खिलाफ जा रही है और भाजपा का एजेंडा लागू कर रही है।’’
वहीं, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के एक स्कूल के शिक्षक ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया।
अनंतनाग जिले के तचलू क्षेत्र में हनफिया इस्लामिया संस्थान के शिक्षक मोहम्मद इशाक ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है। हमें पहले बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब मुझे लगता है कि सब कुछ सुचारू हो जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में भी जिला मजिस्ट्रेट ही स्कूलों के प्रबंध निकायों का गठन करते थे।
स्कूल की एक छात्रा आलिया इरशाद ने कहा कि इस फैसले से छात्रों और कर्मचारियों दोनों को फ़ायदा होगा। उन्होंने कहा, “स्कूल बेहतर होगा और समृद्ध होगा।’’
उन्होंने मांग की कि सरकार कर्मचारियों का वेतन बढ़ाए क्योंकि वे छात्रों के लिए बहुत मेहनत करते हैं।
शुक्रवार के आदेश में कहा गया, ‘‘215 स्कूलों की प्रबंध समिति का कार्यभार संबंधित जिला मजिस्ट्रेट/उपायुक्त द्वारा किया जाएगा, जो इन स्कूलों के लिए विधिवत सत्यापन के बाद यथासमय फिर एक नयी प्रबंधन समिति का प्रस्ताव रखेंगे।’’
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 28 फरवरी, 2019 और फिर 27 फरवरी, 2024 को जेईएल को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया था।
आदेश में कहा गया, ‘‘खुफिया एजेंसियों ने कई स्कूलों की पहचान की है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेईएल)/फलाह-ए-आम ट्रस्ट (एफएटी) से जुड़े हुए पाए गए।’’
इसमें कहा गया कि इन स्कूलों की प्रबंध समितियों की वैधता समाप्त हो चुकी है और खुफिया एजेंसियों ने भी इन समितियों के बारे में प्रतिकूल रिपोर्ट दी है।
आदेश में कहा गया कि इन स्कूलों की प्रबंध समितियों को अपने नियंत्रण में लेने का निर्णय इन स्कूलों में नामांकित छात्रों के शैक्षणिक भविष्य की सुरक्षा के लिए लिया गया है।
इसमें कहा गया कि संबंधित जिला मजिस्ट्रेट/उपायुक्त स्कूल शिक्षा विभाग के परामर्श और समन्वय से उचित कदम उठाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन स्कूलों में नामांकित छात्रों का शैक्षणिक कैरियर किसी भी तरह से प्रभावित न हो।
भाषा
हालांकि, कुछ घंटों बाद शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि विभाग का मूल प्रस्ताव वह नहीं था जो आदेश में कहा गया था।
एक वीडियो संदेश में, इट्टू ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि शिक्षा विभाग ने एफएटी स्कूलों को अपने अधीन ले लिया है।’’
उन्होंने बताया कि छह से आठ साल पहले सीआईडी के सत्यापन में इन 215 स्कूलों के बारे में समितियों को नकारात्मक रिपोर्ट मिली थी जिससे इन स्कूलों में पढ़ाई अधर में लटकी हुई है।
शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘बोर्ड परीक्षाओं के समय समस्याओं का सामना करने के कारण छात्र और लोग हमें बार-बार अपनी परेशानी बताने आते थे। बोर्ड (जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड) ने उन्हें स्वीकार नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया कि निकटतम क्लस्टर प्रिंसिपल इन स्कूलों की देखरेख करेंगे, जिनमें 51,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘छात्र, शिक्षक और संरचनाएं यथावत रहेंगी, नयी प्रबंधन समितियों के गठन तक केवल निकटतम प्रधानाचार्य ही उनकी देखभाल करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में छात्रों के भविष्य की सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया है।
प्रीति