सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी के संबंध में अनिल अंबानी, आरकॉम के खिलाफ मामला दर्ज कर छापेमारी की
आशीष माधव
- 23 Aug 2025, 10:04 PM
- Updated: 10:04 PM
(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली/मुंबई, 23 अगस्त (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय स्टेट बैंक से 2929.05 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के संबंध में हाल में मामला दर्ज करने के बाद शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड के निदेशक अनिल अंबानी के मुंबई स्थित आवास की तलाशी ली। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सीबीआई ने एक बयान में कहा कि एजेंसी की टीम ने मुंबई में दो जगहों-रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) के आधिकारिक परिसर और अनिल अंबानी के आवासीय परिसर पर तलाशी ली।
सीबीआई ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शिकायत के आधार पर बृहस्पतिवार को आरकॉम मुंबई, इसके निदेशक अनिल अंबानी, अज्ञात लोक सेवकों और अज्ञात अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
सूत्रों ने बताया कि यह छापेमारी मुंबई के कफ परेड स्थित अंबानी के आवास 'सी विंड' पर हुई।
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अनिल अंबानी की ओर से एक प्रवक्ता ने बयान में कहा, "अनिल अंबानी सभी आरोपों से इनकार करते हैं और अपना बचाव करेंगे।"
एसबीआई की शिकायत के अनुसार, कंपनी पर विभिन्न ऋणदाताओं का 40,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है, जिसमें अकेले एसबीआई को 2018 के आंकड़ों के अनुसार 2929.05 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
अनिल अंबानी की ओर से प्रवक्ता ने बयान में कहा है कि एसबीआई द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत 10 वर्ष से अधिक पुराने मामलों से संबंधित है।
बयान में कहा गया है कि उस समय अनिल अंबानी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक थे और दैनिक प्रबंधन में उनकी कोई भागीदारी नहीं थी।
बयान में कहा गया, "यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि एसबीआई ने अपने आदेश से पहले ही पांच अन्य गैर-कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ कार्यवाही वापस ले ली है। इसके बावजूद, अंबानी को चुनिंदा रूप से निशाना बनाया गया है।"
बयान में कहा गया कि वर्तमान में रिलायंस कम्युनिकेशन का प्रबंधन एसबीआई के नेतृत्व वाली ऋणदाताओं की समिति की देखरेख में किया जा रहा है, जिसका निगरानी एक समाधान पेशेवर (रिजोल्यूशन प्रोफेशनल) कर रहा है।
बयान में कहा गया, "यह मामला पिछले छह वर्षों से राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और उच्चतम न्यायालय सहित अन्य न्यायिक मंचों पर विचाराधीन है।"
बयान में कहा गया कि अनिल अंबानी ने एसबीआई की शिकायत को सक्षम न्यायिक मंच के समक्ष चुनौती दी है।
सीबीआई ने बताया कि अंबानी और आरकॉम पर कथित तौर पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
सीबीआई की प्रवक्ता ने कहा, "आरोप है कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश के तहत गलत जानकारी दी और आरकॉम के पक्ष में एसबीआई से ऋण सुविधाएं स्वीकृत करवाईं।"
उन्होंने कहा कि यह भी आरोप है कि ऋण की राशि का दुरुपयोग किया गया और इसमें हेरफेर की गई।
एसबीआई की शिकायत के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), आरकॉम की सहायक कंपनी रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल) और रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (आरटीएल) ने बैंकों से कुल मिलाकर 31,580 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
वर्ष 2020 में किए गए फॉरेंसिक ऑडिट में बैंकों से प्राप्त धन के इस्तेमाल का पता लगाया गया, जिससे आरकॉम द्वारा प्राप्त और इस्तेमाल धन में हेराफेरी का पता चला। इसमें आरोप लगाया गया है कि उपयोग मंजूरी की शर्तों के अनुसार नहीं था।
यह आरोप लगाया गया है कि 13667.73 करोड़ रुपये (44 प्रतिशत) का उपयोग बैंकों और एफआईआई को ऋण और अन्य दायित्वों के पुनर्भुगतान के लिए किया गया, और 12692.31 करोड़ रुपये (41 प्रतिशत) का उपयोग संबंधित पक्षों को भुगतान करने के लिए किया गया।
ऑडिट में अनियमित लेनदेन का ब्योरा देते हुए रेखांकित किया गया है कि बैंकों से ऋण के माध्यम से प्राप्त 6265.85 करोड़ रुपये का उपयोग अन्य बैंक ऋणों के भुगतान के लिए किया गया, 5501.56 करोड़ रुपये के ऋण का उपयोग संबंधित और जुड़े पक्षों को भुगतान करने के लिए किया गया और विभिन्न बैंकों से प्राप्त ऋणों से 1883.08 करोड़ रुपये का निवेश किया गया।
सीबीआई प्रवक्ता ने बयान में कहा कि रिलायंस एडीए समूह की एक कंपनी, नेटिज़न इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए पूंजीगत अग्रिमों को बट्टे खाते में डाल दिया गया। इसके अलावा, फर्जी देनदार बनाए गए और उन्हें भी बट्टे खाते में डाल दिया गया।
सीबीआई ने 22 अगस्त को मुंबई में विशेष अदालत से तलाशी वारंट प्राप्त किया जिसके बाद, शनिवार को तलाशी ली गई।
एसबीआई ने 10 नवंबर 2020 को कंपनी के खाते और प्रवर्तक अनिल अंबानी को 'धोखाधड़ी करने वाले’ की श्रेणी में रखा था और पांच जनवरी 2021 को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी।
हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से छह जनवरी 2021 को पारित 'यथास्थिति' आदेश के मद्देनजर शिकायत वापस कर दी गई थी।
इस बीच, एसबीआई एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य मामले में 27 मार्च 2023 को उच्चतम न्यायालय के फैसले में यह अनिवार्य किया गया कि ऋणदाता को खातों को ‘धोखाधड़ी करने वाले’ के रूप में वर्गीकृत करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान करना चाहिए।
बैंक ने दो सितंबर 2023 को खाते के लिए धोखाधड़ी से संबंधित वर्गीकरण रद्द कर दिया। धोखाधड़ी से संबंधित वर्गीकरण प्रक्रिया को फिर से चलाया गया और 15 जुलाई 2024 के आरबीआई परिपत्र के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद खाते को फिर से 'धोखाधड़ी करने वाले' के रूप में वर्गीकृत किया गया।
भाषा आशीष