आरडब्ल्यूए ने आवारा कुत्तों के लिए भोजन क्षेत्र बनाने के निर्देश को ‘अव्यावहारिक’ बताया
पारुल नेत्रपाल
- 22 Aug 2025, 09:20 PM
- Updated: 09:20 PM
नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने आवारा कुत्तों के लिए हर इलाके में समर्पित भोजन क्षेत्र बनाने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश को ‘‘अव्यावहारिक’’ बताते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘‘इसे लागू करना मुश्किल है।’’
शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों से छोड़ने पर रोक संबंधी 11 अगस्त के अपने निर्देश को ‘‘बहुत कठोर’’ बताते हुए शुक्रवार को इसमें संशोधन किया।
न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने कहा कि पकड़े गए आवारा कुत्तों का बंध्याकरण एवं टीकाकरण किया जाएगा और उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ दिया जाएगा, जहां से उन्हें उठाया गया था।
हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि यह आदेश रेबीज से संक्रमित और आक्रामक व्यवहार वाले आवारा कुत्तों पर लागू नहीं होगा।
न्यायालय ने यह भी कहा कि आवारा कुत्तों को किसी भी सूरत में सड़कों पर खाना खिलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसने दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में आवारा कुत्तों के लिए समर्पित भोजन क्षेत्र बनाने के निर्देश दिए।
आरडब्ल्यूए ने आशंका जताई कि ऐसे भोजन क्षेत्र आवासीय कॉलोनियों में परेशानी पैदा कर सकते हैं।
आरडब्ल्यूए की मुख्य संस्था ‘यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली’ (यूआरडी) के महासचिव संजय गांधी ने कहा, ‘‘निवासी अपने घरों के पास भोजन क्षेत्र बनाने पर कड़ी आपत्ति जताएंगे, क्योंकि ऐसी जगहों पर एक समय में दर्जनों आवारा कुत्ते आ सकते हैं, जिससे अफरातफरी मच सकती है।’’
गांधी ने कहा कि निवासी लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि खतरनाक और काटने वाले कुत्तों को आवासीय क्षेत्रों से हटाया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, न्यायालय ने इस चिंता का समाधान किया है, लेकिन हमारा डर यह है कि जब तक उचित व्यवस्था नहीं बनाई जाती, तब तक बच्चों और बुजुर्गों पर खतरा बना रहेगा।’’
गांधी ने कहा कि आरडब्ल्यूए निवासियों को ऐसी घटनाओं की फोटो और वीडियो के साथ शिकायत दर्ज कराने के वास्ते दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के ‘311’ ऐप का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेंगी।
ढाई हजार आरडब्ल्यूए का प्रतिनिधित्व करने वाली एक अन्य प्रमुख संस्था ‘यूनाइटेड रेजिडेंट ज्वाइंट एक्शन’ (यूआरजेए) के अध्यक्ष अतुल गोयल ने कहा कि शीर्ष अदालत का आदेश अप्रत्याशित नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘भोजन क्षेत्रों की पहचान करना एमसीडी का काम है, न कि आरडब्ल्यूए का। अगर कॉलोनियों के अंदर ऐसे स्थान चिह्नित किए जाते हैं, तो स्थानीय लोग विरोध करेंगे।’’
‘ईस्ट डेल्ही आरडब्ल्यूए फेडरेशन’ के अध्यक्ष बीएस वोहरा ने इसी तरह की चिंता जाहिर करते हुए पिछले और संशोधित, दोनों आदेशों को ‘‘अव्यावहारिक’’ बताया।
वोहरा ने सवाल किया, ‘‘क्या आप इतने सारे कुत्तों के खाना खाने के लिए एक ही स्थान पर इकट्ठा होने से उत्पन्न होने वाली स्थिति की कल्पना कर सकते हैं? वे आपस में ही लड़ने लगेंगे।’’ उन्होंने कहा कि फैसले से जमीनी स्तर पर ज्यादा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है।
आरडब्ल्यूए ने नगर निगम अधिकारियों के पास सीधे शिकायत दर्ज कराने के लिए एक टोल-फ्री नंबर जारी किए जाने की भी मांग की।
उन्होंने कहा कि यह मुद्दा अभी सुलझा नहीं है, क्योंकि अदालत ने केवल अंतरिम आदेश पारित किया है और अगले आठ हफ्ते में आगे की सुनवाई होने की उम्मीद है जब आरडब्ल्यूए पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के संबंध में अपनी चिंताएं पेश कर सकती हैं।
भाषा पारुल