ओडिशा को मिल रहा 'डबल इंजन सरकार' का लाभ: मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी
आशीष पवनेश
- 22 Aug 2025, 03:32 PM
- Updated: 03:32 PM
भुवनेश्वर, 22 अगस्त (भाषा) ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने दावा किया है कि राज्य को अब ‘‘डबल इंजन’’ सरकार का लाभ मिल रहा है, जो 8,308 करोड़ रुपये की भुवनेश्वर बाईपास परियोजना, दो सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी और दक्षिण कोरियाई इस्पात कंपनी पॉस्को की राज्य में वापसी जैसे हालिया घटनाक्रम से स्पष्ट है।
माझी ने यह बात उस समय कही जब खनिज समृद्ध क्योंझर जिले के कई लोगों और संगठनों ने बृहस्पतिवार को यहां उनसे मुलाकात की और जिले की पटना तहसील में प्रस्तावित जेएसडब्ल्यू-पॉस्को संयुक्त उद्यम ग्रीन फील्ड स्टील परियोजना के लिए उन्हें और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, "प्रस्तावित इस्पात संयंत्र क्योंझर जिले और समृद्ध ओडिशा के भविष्य को संवारेगा। आगामी दिनों में पटना क्षेत्र भी राउरकेला जैसा आधुनिक शहर बन जाएगा।"
माझी ने कहा कि इस्पात संयंत्र की स्थापना उनके गृह जिले क्योंझर के लोगों की लंबे समय से मांग थी। उन्होंने इसके लिए ‘डबल इंजन’ सरकार को श्रेय दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, "जेएसडब्ल्यू-पॉस्को परियोजना देश के सबसे बड़े इस्पात संयंत्रों में से एक होगी।"
माझी ने कहा कि 20 साल पहले जब से उन्होंने राजनीति में कदम रखा और विधायक बने, तब से वह क्योंझर में एक विशाल इस्पात संयंत्र का सपना देखते रहे थे। उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों के उद्योग क्योंझर से लौह अयस्क खरीदते हैं और वहां इस्पात बनाते हैं। लेकिन इस जिले को अब तक अपना इस्पात संयंत्र नहीं मिला था। अब क्योंझर में इस्पात संयंत्र का सपना साकार होने जा रहा है। मैं बहुत खुश हूं।"
उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित इस्पात संयंत्र से क्योंझर ज़िले समेत पूरे राज्य का विकास होगा।
पॉस्को इंडिया ने 2005 में ओडिशा सरकार के साथ जगतसिंहपुर जिले में 52,000 करोड़ रुपये के निवेश से 1.20 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता का इस्पात संयंत्र स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन भूमि अधिग्रहण में स्थानीय लोगों के प्रतिरोध और अन्य कानूनी बाधाओं के कारण परियोजना से हटना पड़ा।
माझी ने कहा, "हालांकि, जेएसडब्ल्यू के प्रमुख सज्जन जिंदल ने अंततः इस्पात क्षेत्र की इस बड़ी कंपनी को ओडिशा लौटने और जेएसडब्ल्यू के सहयोग से एक संयंत्र स्थापित करने के लिए राजी कर लिया।" उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों और प्रतिबद्धता के कारण संभव हो सका।
भाषा आशीष