मिट्टी में उर्वरक की मात्रा का प्रबंधन करने से अधिक प्रभावी और उत्पादक बन सकती हैं फसलें
द कन्वरसेशन गोला मनीषा
- 22 Aug 2025, 01:22 PM
- Updated: 01:22 PM
(जेटी कोर्नेलिस, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय)
वैंकूवर, 22 अगस्त (द कन्वरसेशन) आधुनिक फसलों में अक्सर अत्यधिक मात्रा में उर्वरक डाले जाते हैं, जिससे अल्पकाल में पैदावार तो बढ़ जाती है लेकिन पोषक तत्त्वों के बह जाने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण पर्यावरण को नुकसान भी होता है।
इसके अलावा, उर्वरक प्रायः निष्प्रभावी भी हो जाते हैं क्योंकि खेतों में डाली गई खाद का बड़ा हिस्सा समय के साथ मिट्टी के कणों से बंधकर पौधों तक नहीं पहुंच पाता है।
आसानी से घुलनशील उर्वरकों की अधिक मात्रा का प्रयोग फसल की उत्पादकता तो सुनिश्चित करता है, लेकिन इसकी कीमत पर्यावरणीय गुणवत्ता और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलेपन की क्षमता से चुकानी पड़ती है। इस रणनीति के कारण फसलें ‘‘सुस्त’’ हो जाती हैं, जिनकी जड़ें ठीक से विकसित नहीं हो पातीं और उनकी मिट्टी से पोषक तत्त्व लेने की क्षमता कमजोर रह जाती हैं।
मैं एक मृदा वैज्ञानिक और जैव-भू-रसायनविद् हूं और मेरा शोध मिट्टी की बहुआयामी एवं अंतःविषयी समझ पर केंद्रित है।
लचीलापन बढ़ाना :
कनाडा के विशाल वनों में पेड़ पोषक तत्वों के लिहाज से कमजोर मिट्टी में भी फलते-फूलते हैं क्योंकि उनकी गहरी जड़ें पोषक तत्त्वों और पानी तक पहुँचने में सक्षम होती हैं। प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों में पौधों ने ऐसी जड़-रणनीतियां विकसित की हैं जो उन्हें मिट्टी से पोषक तत्त्व लेने में मदद करती हैं।
वे ऐसा इस तरह करते हैं कि बड़ी, मजबूत और सक्रिय जड़ें बनाते हैं, जो मिट्टी से अधिक पोषक तत्त्व सोख सकें। कई बार पौधे मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों के साथ भी जुड़ते हैं। जड़ें जब पोषक तत्त्व सोखती हैं, तो वे जड़-स्त्रवण नामक अणुओं को भी मिट्टी में छोड़ती हैं।
ये यौगिक जैविक पदार्थ को तोड़ने और मिट्टी के कणों को घुलाने में मदद करते हैं, जिससे फंसे हुए पोषक तत्त्व जड़ों द्वारा अवशोषित किए जा सकें। यही नहीं, ये स्त्रवण मिट्टी के सूक्ष्मजीवों के लिए ऊर्जा का स्रोत भी बनते हैं, जिससे मिट्टी में कार्बन संग्रहण और उसकी गुणवत्ता में सुधार होता है।
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय का ‘सॉयलरेस3’ लैब मिट्टी और पौधों के परस्पर संबंधों का अध्ययन करता है और यह समझने की कोशिश करता है कि कैसे सूक्ष्म स्तर की प्रक्रियाएं व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और लचीलापन तय करती हैं।
अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि उर्वरक का उपयोग थोड़ा कम करने से लंबे समय में फसलों को लाभ हो सकता है। कम उर्वरक डालने से जड़-स्त्रवण की मात्रा बढ़ती है, जिससे पौधों की पोषक तत्त्व सोखने की क्षमता बढ़ती है और वे बाहरी खाद पर निर्भर नहीं रहते।
वैकल्पिक रणनीतियां :
फसलों की वृद्धि के लिए नाइट्रोजन और फॉस्फोरस सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्त्व हैं और इन्हीं का प्रयोग विश्वभर में सबसे अधिक होता है।
हमारी टीम ने 36 अध्ययनों की समीक्षा की, जिनमें 30 तरह की फसलें और विभिन्न मिट्टी प्रणालियां शामिल थीं। हमने देखा कि सामान्य मात्रा में उर्वरक देने और कम उर्वरक (विशेषकर नाइट्रोजन और फॉस्फोरस) देने की स्थितियों में पौधों की प्रतिक्रिया कैसी रही।
फॉस्फोरस उर्वरक को आधा करने पर जड़-स्त्रवण में 30 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि फसल उत्पादन केवल 2 प्रतिशत घटा।
नाइट्रोजन उर्वरक कम करने पर जड़-स्त्रवण 7 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन फसल वृद्धि 20 प्रतिशत घट गई।
इससे स्पष्ट होता है कि कृषि में फॉस्फोरस उर्वरक का संतुलित प्रयोग जड़-प्रणालियों को सक्रिय बनाता है और स्त्रवण को बढ़ाता है।
मिट्टी की किस्में :
फॉस्फोरस का अनुकूल उपयोग मिट्टी की किस्म पर बहुत निर्भर करता है। ब्रिटिश कोलंबिया की मिट्टी मैनिटोबा, क्यूबेक और सस्कैचेवान की मिट्टी से काफी भिन्न है, और जड़-स्त्रवण का पोषक तत्त्व सोखने व कार्बन संग्रहण पर प्रभाव भी मिट्टी की पीएच, खनिज संरचना, नमी और बनावट के अनुसार बदलता है।
इसीलिए यह रणनीति - ‘‘उर्वरक कम करके जड़ों की सक्रियता बढ़ाना’’ किसानों के साथ मिलकर वास्तविक खेतों में, विभिन्न मिट्टियों और फसलों पर परखी जानी चाहिए।
द कन्वरसेशन गोला