सरकारें अब आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं : जादवपुर विवि के पूर्व छात्र हिंडोल मजूमदार ने कहा
गोला मनीषा
- 21 Aug 2025, 01:51 PM
- Updated: 01:51 PM
(सौगत मुखोपाध्याय)
कोलकाता, 21 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा खुली अदालत में दोषी आतंकवादी आफताब अंसारी से तुलना किए जाने पर जादवपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और शोधकर्ता हिंडोल मजूमदार ने कहा कि वह किसी भी तरह की आलोचना के प्रति ‘‘असहिष्णु’’ सरकार से इससे बेहतर उपमा की उम्मीद नहीं कर सकते।
मजूमदार पर राज्य के एक मंत्री के काफिले पर हमले की साजिश रचने का आरोप है।
इस मामले में मजूमदार को अलीपुर की एक अदालत ने जमानत दे दी और बायोमेडिसिन में अपना शोध जारी रखने के लिए दो सप्ताह बाद स्पेन लौटने की अनुमति दे दी है।
इसके एक दिन बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में मजूमदार ने कहा, ‘‘जब मैंने सुना कि सरकारी वकील ने मेरी तुलना एक दोषी आतंकवादी से की है, तो मैं पहले तो हैरान रह गया। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बाद में मैंने इस पर विचार किया और सोचा कि इस सरकार से मुझे इससे बेहतर की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। क्योंकि आज समाज में यही सोच हावी है कि अगर कोई आपकी आलोचना करता है तो यह मान लिया जाता है कि वह व्यक्ति आपको नुकसान पहुंचाना चाहता है जबकि ऐसा नहीं है।’’
मार्च में जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के काफिले पर हमले की साजिश रचने के आरोपी मजूमदार को यूरोप से लौटने के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर गिरफ्तारी के पांच दिन बाद सोमवार को जमानत दे दी गई।
कोलकाता पुलिस के मुख्य लोक अभियोजक ने जादवपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र की अंसारी से तुलना किसी अपराध की साजिश रचने में ‘‘परिस्थितिजन्य समानता’’ के आधार पर की थी। अंसारी कोलकाता में 2002 के अमेरिकन सेंटर हमले का मास्टरमाइंड है और इस मामले में उसे मौत की सजा सुनायी गयी थी।
मजूमदार ने तर्क दिया कि सरकार की उनकी आलोचनाएं प्रशासन को वर्तमान स्थिति से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से थीं।
उन्होंने कहा, “मैं जो भी कहने की कोशिश करता हूं वह यह है कि सरकार के पास अपनी समस्याओं से निपटने के लिए सभी संसाधन हैं; वह खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर है। यह लोगों के जीवन में सुधार लाने के मामले में अभी जो कर रही है, उससे कहीं बेहतर कर सकती है। लेकिन वह असहमति को स्वीकार करने में असफल रही।”
जादवपुर विश्वविद्यालय के फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग के पूर्व छात्र ने कहा, ‘‘केवल जब आप अपने देश से बहुत प्यार करते हैं, तब आप चाहते हैं कि यह बेहतर के लिए बदले।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, भारत की लोकप्रिय संस्कृति में भी एक बड़ा बदलाव हुआ है। रंग दे बसंती, स्वदेश और चक दे इंडिया जैसी फिल्में शासन प्रणाली में व्याप्त बुराइयों की ओर इशारा करती हैं, साथ ही राष्ट्रप्रेम पर गर्व भी जताती हैं। यह अब घटकर केवल सत्ताधारियों का गुणगान करने तक सीमित हो गया है।’’
यह पूछा गया कि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस का क्या हुआ और क्या अब उसे हटा दिया गया है ? इस पर मजूमदार ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘‘मुझे उसकी स्थिति के बारे में भी ठीक से पता नहीं है।’’
भाषा गोला