एसईए ने चेताया, छोटे उत्पादकों के लिए चुनौती बन सकते हैं नए वनस्पति तेल नियम
राजेश राजेश अजय
- 20 Aug 2025, 06:56 PM
- Updated: 06:56 PM
नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) उद्योग निकाय एसईए के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने बुधवार को कहा कि सरकार का नया वनस्पति तेल नियमन इस क्षेत्र में एक दशक से भी अधिक समय में सबसे बड़ा बदलाव है, लेकिन यह डिजिटल बुनियादी ढांचे की कमी वाले हजारों छोटे उत्पादकों पर बोझ डाल सकता है।
वनस्पति तेल उत्पाद उत्पादन और उपलब्धता (विनियमन) संशोधन आदेश, 2025, वर्ष 2011 के ढांचे के प्रमुख प्रावधानों का स्थान लेता है और सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य मूल्य श्रृंखला में पारदर्शिता और डेटा सटीकता में सुधार करना है।
हालांकि, बड़े कारोबारी नई आवश्यकताओं के साथ जल्दी से तालमेल बिठा सकते हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि हजारों छोटे और असंगठित उत्पादक - जिनमें से कई के पास डिजिटल प्रणाली नहीं है - अनिवार्य पोर्टल-आधारित पंजीकरण और मासिक फाइलिंग आवश्यकताओं से जूझ सकते हैं।
अस्थाना ने बयान में कहा, ‘‘बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार ऐसी सभी इकाइयों की पहचान कर उन्हें शामिल कर सकती है।’’ उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘पूर्ण कवरेज के बिना, कड़े नियमों के बावजूद अनुपालन में खामियां बनी रह सकती हैं, जिससे आदेश के उद्देश्य विफल हो सकते हैं।’’
संशोधित आदेश में हर महीने की 15 तारीख तक मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है, जिसमें तेल के उपयोग, उत्पादन और अन्य परिचालन संबंधी आंकड़ों का विवरण दिया गया हो, जिससे आंकड़ों की गोपनीयता और तकनीकी विश्वसनीयता को लेकर उद्योग जगत की चिंताएं बढ़ गई हैं।
अस्थाना ने व्यावहारिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिनमें गोपनीयता पर मज़बूत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता, विभागों के बीच आंकड़ों के उपयोग की सीमाएं, और पोर्टल विश्वसनीयता संबंधी चिंताएं शामिल हैं, जो दाखिल करने की समयसीमा के आसपास तकनीकी गड़बड़ियों के कारण अनजाने में अनुपालन न होने का कारण बन सकती हैं।
उद्योग निकाय ने कुछ मिश्रित या मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए स्पष्ट परिभाषा और भ्रम तथा बाज़ार में व्यवधान से बचने के लिए एक उचित बदलाव की समयसीमा का भी आह्वान किया।
इस विनियमन पर सरकारी बयानों के अनुसार, ‘‘यह संशोधन पारदर्शिता बढ़ाता है, बेहतर बाज़ार जानकारी प्रदान करता है और साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण का समर्थन करता है।’’
कार्यान्वयन संबंधी चिंताओं के बावजूद, अस्थाना ने स्वीकार किया कि एक विनियमित और प्रलेखित क्षेत्र अंततः नीति-निर्माण में सुधार करेगा और वनस्पति तेलों में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य बात यह सुनिश्चित करते हुए तेज़ी से अनुकूलन करना होगा कि कोई भी उत्पादक - चाहे वह बड़ा हो या छोटा - खाद्य तेल उद्योग में पीछे न छूट जाए।’’
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया 875 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें लगभग 350 कार्यरत सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्लांट शामिल हैं, जिनकी संयुक्त प्रसंस्करण क्षमता लगभग तीन करोड़ टन सालाना की है।
भाषा राजेश राजेश