एआईटीए के विरोधी गुटों में डेविस कप के लिए टीम मैनेजर को लेकर तकरार
सुधीर नमिता
- 20 Aug 2025, 06:25 PM
- Updated: 06:25 PM
(अमनप्रीत सिंह)
नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) पिछले साल हुए एआईटीए चुनावों के नतीजे अभी तक घोषित नहीं किए गए हैं लेकिन अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) के प्रतिद्वंद्वी गुटों ने स्विट्जरलैंड के खिलाफ आगामी डेविस कप मुकाबले के लिए अलग-अलग टीम मैनेजर चुन लिए हैं जिससे सदस्यों के बीच अहंकार की लड़ाई शुरू हो गई है।
एआईटीए ने 28 सितंबर 2024 को चुनाव कराए थे लेकिन पूर्व खिलाड़ियों सोमदेव देववर्मन और पूरव राजा द्वारा दायर याचिका के कारण नतीजे दिल्ली उच्च न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में जमा किए गए।
खिलाड़ियों ने आरोप लगाया कि खेल संहिता (2011) का पालन नहीं किया गया।
तब से पुरानी कार्यकारी समिति ही खेल संस्था के मामलों का प्रबंधन कर रही है लेकिन एक नया विवाद तब खड़ा हो गया जब इस साल 27 जून को कार्यकारी समिति ने अनिल धूपर को महासचिव पद से हटा दिया और सुंदर अय्यर को अंतरिम सचिव नियुक्त किया।
धूपर ने अपने निष्कासन को अदालत में चुनौती दी है जिस पर अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी। खेल मंत्रालय ने एआईटीए के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
अब जबकि राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 लागू हो गया है तो इस मामले का जल्द ही निष्कर्ष निकल जाना चाहिए।
अय्यर ने नौ अगस्त को कार्यकारी समिति के सदस्यों को सूचित किया कि त्रिपुरा संघ के सचिव सुजीत रॉय 12 और 13 सितंबर को बील में होने वाले मुकाबले के लिए भारतीय डेविस कप टीम के साथ मैनेजर के तौर पर स्विट्जरलैंड जाएंगे।
इस घोषणा के बाद कार्यकारी समिति के सदस्यों के बीच ईमेल के जरिए इस नियुक्ति पर बहस हुई।
अहमदाबाद में 27 जून को हुई कार्यकारी समिति की बैठक की वैधता को चुनौती देने वाले धूपर ने कहा कि महासचिव का मैनेजर के तौर पर टीम के साथ यात्रा करना एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है और एआईटीए अध्यक्ष अनिल जैन ने उनके नाम को मंजूरी दे दी है।
बंगाल टेनिस संघ (बीटीए) के अध्यक्ष हिरण्मय चटर्जी ने बताया कि मैनेजर को नामित करने का अधिकार कार्यकारी समिति के पास है और धूपर ने पहले भी कार्यकारी समिति की मंज़ूरी के बाद ही मैनेजर के तौर पर यात्रा की थी।
चटर्जी ने सभी सदस्यों को धूपर द्वारा भेजे गए ईमेल को नजरअंदाज करने की सलाह दी और अखिल असम टेनिस संघ (एएटीए) के अध्यक्ष रक्तिम सैकिया ने उनके विचार का समर्थन किया।
हालांकि एआईटीए के उपाध्यक्ष नवनीत सहगल ने सदस्यों को परंपरा का सम्मान करने और ‘मेरा आदमी उसका आदमी’ की अवधारणा में नहीं पड़ने की सलाह दी।
एआईटीए के एक अन्य उपाध्यक्ष चिंतन पारिख ने कहा कि धूपर को अदालत से कोई अनुकूल निर्णय नहीं मिला है इसलिए कार्यकारी समिति से परामर्श किए बिना अध्यक्ष द्वारा उन्हें मैनेजर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
पारिख ने कहा कि सभी यात्रा व्ययों को कार्यकारी समिति की मंजूरी की आवश्यकता है और यदि धूपर कार्यकारी समिति की स्पष्ट सहमति के बिना मैनेजर के रूप में यात्रा करने का निर्णय लेते हैं तो एआईटीए उनके खर्च का भुगतान नहीं करेगा जब तक कि कार्यकारी समिति इसकी मंजूरी नहीं दे।
एआईटीए अध्यक्ष अनिल जैन के खिलाफ पिछले वर्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था लेकिन फिर वापस ले लिया गया। उन्होंने तर्क दिया कि पारिख का मेल एआईटीए संविधान द्वारा प्रदत्त अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है।
जैन ने कहा कि अय्यर को केंद्रीय परिषद द्वारा चुने बिना एआईटीए का महासचिव नहीं माना जा सकता।
जैन ने कहा, ‘‘अध्यक्ष को सभी पदाधिकारियों, कार्यकारी समिति के सदस्यों और उप-समितियों पर अधीक्षण का अधिकार दिया गया है। एआईटीए का संविधान अध्यक्ष को उपाध्यक्ष (खेल) सहित पदाधिकारियों के सभी दैनिक कार्यों पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए एआईटीए संविधान के खंड 8(डी) के अनुसार उपाध्यक्ष (खेल) द्वारा लिए गए सभी निर्णय अध्यक्ष की अंतिम स्वीकृति के अधीन हैं और इन्हें पूर्ण नहीं माना जा सकता।’’
खेल विभाग के उपाध्यक्ष जैसे प्रभावशाली पद पर आसीन चटर्जी ने जैन के अध्यक्ष पद की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जैन ने स्वयं एआईटीए संविधान का उल्लंघन किया है।
चटर्जी ने कहा, ‘‘जैन कभी भी उत्तर प्रदेश टेनिस संघ की कार्यकारी समिति का हिस्सा नहीं थे। यूपीटीए ने उन्हें गलत तरीके से नामित किया और वे इसके अध्यक्ष बन गए। यह संविधान का उल्लंघन है जिसके अनुसार राष्ट्रीय महासंघ का चुनाव लड़ने के योग्य होने के लिए किसी सदस्य को राज्य संघ की कार्यकारी समिति का सदस्य होना आवश्यक है।’’
यह पूछे जाने पर कि जब उनका पहला चार साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है तो अब यह मुद्दा क्यों उठाया जा रहा है तो चटर्जी ने कहा, ‘‘हमें उस समय इसकी जानकारी नहीं थी। हमें लगा कि वह यूपीटीए की कार्यकारी समिति का हिस्सा हैं लेकिन वह बाहरी व्यक्ति हैं और यह अस्वीकार्य है।’’
यह भी पता चला है कि एआईटीए ने आनंद दुबे को टीम के साथ यात्रा करने के लिए सहयोगी स्टाफ के सदस्यों में से एक के रूप में नामित किया था लेकिन खेल मंत्रालय को सूची सौंपने के बाद उनका नाम हटा दिया गया।
भाषा सुधीर