लोकसभा ने जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक प्रवर समिति को भेजा
वैभव मनीषा
- 18 Aug 2025, 03:46 PM
- Updated: 03:46 PM
नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) लोकसभा में सोमवार को जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया गया जिसे सदन ने अध्ययन के लिए प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह विधेयक पेश किया।
विधेयक में जीवन की सुगमता और कारोबार करने की सुगमता के लिए विश्वास आधारित शासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ मामूली अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और तर्कसंगत बनाने के लिए कुछ विधानों का संशोधन करने का प्रावधान है।
विधेयक पेश करने के बाद गोयल ने इसे लोकसभा की प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
समिति से संबंधित नियम और शर्तें लोकसभा अध्यक्ष तय करेंगे।
समिति संसद के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
इस विधेयक के माध्यम से 355 प्रावधानों के संशोधन का प्रस्ताव है। इनमें कारोबार को आसान बनाने के लिए 288 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया है, तथा जीवन को सुगम बनाने के लिए 67 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया है।
इसमें नई दिल्ली नगर पालिका परिषद अधिनियम, 1994 (एनडीएमसी अधिनियम) और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अंतर्गत 67 संशोधनों का भी प्रस्ताव है।
यह विधेयक देश में कारोबार का माहौल सुधारने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है।
इससे पहले 2023 में जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अधिनियम पारित किया गया था। इसमें 19 मंत्रालयों और विभागों के 42 केंद्रीय कानूनों में 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया था।
2025 का विधेयक इस सुधार एजेंडे का विस्तार करते हुए 10 मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्रशासित 16 केंद्रीय अधिनियमों को शामिल करता है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में 10 अधिनियमों के अंतर्गत 76 अपराधों के लिए परामर्श या चेतावनी जारी करना; मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिए कारावास की धाराओं की जगह मौद्रिक दंड लगाना या चेतावनी देना आदि शामिल है।
वर्तमान विधेयक के तहत चाय अधिनियम, 1953, विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009, मोटर वाहन अधिनियम, 1988, और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 को और अधिक अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव है। ये चारों कानून जन विश्वास अधिनियम का हिस्सा थे।
एक अधिकारी के अनुसार, इस विधेयक में कारावास और/या जुर्माने को हटाने का प्रस्ताव है।
भाषा वैभव