प्रवासन और अन्य कारणों से लोगों के पास एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र हो सकते हैं: सीईसी
अमित नरेश
- 17 Aug 2025, 09:41 PM
- Updated: 09:41 PM
नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को कहा कि किसी व्यक्ति के पास कई मतदाता पहचान पत्र होने का कारण उसके एक स्थान से दूसरी जगह चले जाने या प्रशासनिक चूक होता है और आयोग ऐसी गलतियों को सुधारने के लिए काम कर रहा है।
कुमार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा उठाया गया 'मकान नंबर शून्य' का मुद्दा इसलिए सामने आता है क्योंकि कई मतदाताओं के पास घर नहीं हैं या उनके घरों को पंचायत या संबंधित नगर पालिका द्वारा नंबर नहीं दिया गया है।
कुमार ने कहा कि आयोग ने विभिन्न राज्यों में अलग-अलग व्यक्तियों को एक ही मतदाता पहचान पत्र संख्या आवंटित किए जाने के मुद्दे पर भी ध्यान दिया है और ऐसे तीन लाख मामलों को ठीक किया है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, ‘‘अगर किसी व्यक्ति के दो जगहों पर वोट हैं, तो भी वह एक ही जगह वोट देने जाता है। दो जगहों पर वोट देना अपराध है और अगर कोई व्यक्ति दोहरे मतदान का दावा करता है, तो सबूत जरूरी है। सबूत मांगा गया था, लेकिन नहीं दिया गया।’’
कुमार ने कहा कि जाने-अनजाने में, एक जगह से दूसरे जगह चले जाने और अन्य मुद्दों के कारण कुछ लोगों के पास एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र हो गए हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसी गतिविधियों से ऐसी विसंगतियों को दूर किया जा सकेगा।
कई मतदाताओं द्वारा अपने घरों को 'मकान नंबर शून्य' के रूप में सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर, मुख्य निर्वाचन आयुक्त कुमार ने कहा, ‘‘कई लोगों के पास घर नहीं है, लेकिन उनका नाम भी मतदाता सूची में है। जो पता दिया गया है, वह वो जगह है जहां वह व्यक्ति रात में सोने आता है। कभी सड़क के किनारे, कभी पुल के नीचे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसे मतदाताओं को फर्जी मतदाता कहा जाएगा, तो यह गरीब मतदाताओं के साथ एक बड़ा मजाक होगा।" कुमार ने कहा कि करोड़ों लोगों के घर के पते में 'शून्य नंबर' है क्योंकि पंचायत या नगर पालिका ने घर को कोई नंबर नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘शहरों में अनधिकृत कॉलोनियां हैं, जहां उनके पास नंबर नहीं है। तो वे अपने फॉर्म में कौन सा पता भरें? इसलिए निर्वाचन आयोग के निर्देश कहते हैं कि अगर इस देश में ऐसा कोई मतदाता है, तो निर्वाचन आयोग उसके साथ खड़ा है और उसे एक काल्पनिक नंबर देगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ इसलिए कि जब वह कंप्यूटर में इसे भरता है, तो उसे शून्य दिखायी देता है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह मतदाता नहीं है। मतदाता बनने की शर्तों में, आपका पता उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि आपकी नागरिकता और आपकी अट्ठारह वर्ष की आयु पूरी होना और आपका उस मतदान केंद्र के क्षेत्र में होना होता है।’’
एक व्यक्ति के पास कई पहचान पत्र होने के मुद्दे पर, कुमार ने कहा कि ऐसा इसलिए था क्योंकि वर्ष 2000 से पहले निर्वाचन आयोग की कोई वेबसाइट नहीं थी जिसमें सारा डेटा एक ही जगह पर हो।
कुमार ने कहा, ‘‘चूंकि वर्ष 2003 से पहले तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, इसलिए कई लोग जो अलग-अलग जगहों पर चले गए, उनके नाम कई जगहों पर जोड़ दिए गए। आज एक वेबसाइट है, एक कंप्यूटर है, आप उसे चुन सकते हैं और हटा सकते हैं।’’
भाषा
अमित