नाइजर में आतंकी हमले में मारे गए भारतीय की पत्नी मुआवजा राशि पाने के लिए कर रही संघर्ष
गोला नरेश
- 30 Jul 2025, 03:22 PM
- Updated: 03:22 PM
बोकारो (झारखंड), 30 जुलाई (भाषा) नाइजर में एक आतंकवादी हमले में अपने पति के मारे जाने के बाद 32 वर्षीय यशोदा देवी बीमा दावा करने और उचित मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
झारखंड में बोकारो जिले के गोमिया ब्लॉक निवासी गणेश कर्माली (39) की 15 जुलाई को पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजर के डॉसो क्षेत्र में पुलिस और आतंकवादियों के बीच हुई गोलीबारी में मौत हो गई थी। उनका शव रविवार शाम घर लाया गया।
तीन बच्चों की मां यशोदा देवी ने बताया कि जिस कंपनी में उनके पति कार्यरत थे, उसने परिवार को केवल 10 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए, जिसे उन्होंने अपर्याप्त बताया।
उन्होंने दावा किया कि उनके पति का 40 लाख रुपये का बीमा था, लेकिन उन्हें एक पैसा भी नहीं मिला।
यशोदा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कर्माली ही परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। तीन बच्चों के अलावा हमें दो बुजुर्ग माता-पिता की भी देखभाल करनी है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इतनी कम राशि में परिवार का गुजारा कैसे चलेगा।’’
पति का शव घर लाए जाने के बाद यशोदा बीमार पड़ गयीं।
उन्होंने दावा किया कि इस हमले में उत्तर प्रदेश के एक और व्यक्ति की मौत हो गयी थी और उसके परिवार को कंपनी ने 27 लाख रुपये का मुआवजा दिया है।
कर्माली की बेटी सपना कुमारी ने आरोप लगाया, ‘‘जब हमने मुआवजा राशि में अंतर के बारे में पूछा, तो एक कंपनी कर्मचारी ने कहा कि मुआवजा पद के आधार पर तय होता है। मेरे पिता फोरमैन थे। क्या उन्हें सिर्फ 10 लाख रुपये ही मिलने चाहिए? जब हमने कंपनी के एक कर्मचारी से यह सवाल पूछा तो उन्होंने जवाब नहीं दिया।’’
ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहीं 17 वर्षीय सपना ने दावा किया, ‘‘मेरे पिता ने हमें बताया था कि मृत्यु की स्थिति में उनका 40 लाख रुपये का बीमा है। लेकिन हमें कुछ नहीं मिला। हमारे पास बीमा कागज नहीं हैं, इसलिए न कंपनी से मदद मिल रही है, न स्थानीय प्रशासन से।’’
बोकारो के श्रम अधीक्षक रंजी कुमार ने बताया कि कर्माली ‘ट्रांसरेल लाइटिंग लिमिटेड’ में कार्यरत थे। उन्होंने बताया कि उन्होंने कंपनी को 50 लाख रुपये मुआवजे के लिए अनुरोध भेजा है।
कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लेकिन इसे दिलाने में हमारी भूमिका सीमित है। हम परिवार को बीमा दावा निपटाने में मदद कर सकते हैं। यदि परिवार बीमे के कागज़ उपलब्ध कराता है, तो हम श्रम अदालत में मामला ले जा सकते हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार मृतक के परिजनों को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक सुरक्षा योजना के तहत पांच लाख रुपये की सहायता राशि देगी।
भाषा गोला