उप्र: मरीज से दुर्व्यवहार के मामले में विधायक की शिकायत पर उच्चस्तरीय जांच के आदेश
सं आनन्द खारी
- 28 Jul 2025, 04:49 PM
- Updated: 04:49 PM
बहराइच (उप्र) 28 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने बहराइच के महाराजा सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज में एक गर्भवती के साथ कथित दुर्व्यवहार के मामले में उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
यह कार्रवाई पयागपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक सुभाष त्रिपाठी द्वारा विधानसभा की एक समिति के माध्यम से की गयी लिखित शिकायत पर हुई है।
यह मामला बहराइच जिले के अमराई गांव निवासी बसंत कुमारी से जुड़ा है।
शिकायत के अनुसार, ‘‘12 जुलाई को शाम तीन बजे प्रसव पीड़ा होने पर महिला को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, लेकिन काफी देर तक कोई चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मचारी इलाज के लिए नहीं पहुंचा।’’
महिला के पति उमेश पाल ने बताया कि वह अपने एक नजदीकी व्यक्ति का रक्त निकलवाकर रक्त की थैली लेकर अस्पताल में घूमते रहे और कई बार चिकित्सकों व कर्मचारियों से संपर्क किया, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
पाल ने कहा कि स्थिति बिगड़ने पर भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी से संपर्क किया।
विधायक त्रिपाठी ने करीब सात बजे अस्पताल के प्रमुखों से बात कर महिला का समुचित इलाज सुनिश्चित कराने के लिए कहा, लेकिन कथित रूप से रात 10 बजे तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
शिकायत के अनुसार अंततः महिला को एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां 25 हजार रुपये खर्च करने पर देर रात उसका प्रसव हुआ।
विधायक सुभाष त्रिपाठी ने बताया कि विधानसभा की एस्टीमेट कमेटी की बैठक में मामले को उठाया गया और पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की शिकायत की गयी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शिकायत को गंभीरता से लेते हुए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने 25 जुलाई को तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दी है जिसकी अध्यक्षता चिकित्सा शिक्षा विभाग की महानिदेशक किंजल सिंह करेंगी।
इसके अलावा, विशेष सचिव कृतिका शर्मा समिति की संयोजक तथा डॉ. नीतू सिंह, प्रोफेसर, राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज, लखनऊ को सदस्य नामित किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि समिति को 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट शासन को सौंपनी है।
विधायक त्रिपाठी ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बहराइच मेडिकल कालेज में चिकित्सा सेवाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है, अव्यवस्थाएं हैं, मैने खुद मरीज की स्थिति के बारे में जिम्मेदार अधिकारियों से बात की, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।’’
इस संबंध में महाराजा सुहेलदेव मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. संजय खत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ ने कहा, ‘‘12 जुलाई को काफी भीड़ थी, मेडिकल कॉलेज में उस दिन 37 प्रसव हुए, जिनमें 16 ‘सिजेरियन’ थे। जिस समय मरीज भर्ती हुई, तब उसे प्रसव पीड़ा नहीं हो रही थी, ऑपरेशन टेबल खाली नहीं थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चिकित्सकों के मुताबिक ऑपरेशन के लिए इंतजार की भी जरूरत थी, लेकिन मरीज के परिजन शीघ्र ऑपरेशन करने का दबाव बना रहे थे। जब चिकित्सकों को लगा कि ऑपरेशन करना चाहिए तब तैयारी शुरू हुई। रात नौ मरीज के परिजन अपनी फाइल से संबंधित अस्पताल के दस्तावेजों सहित मरीज को लेकर चले गये और कोई सूचना नहीं दी।’’
खत्री ने कहा, ‘‘हमें पता लगा और संपर्क की कोशिश की गयी तो मरीज के साथी का मोबाइल ‘स्विच ऑफ’ मिला। अस्पताल प्रशासन ने सरकारी दस्तावेज ले जाने के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। जांच समिति का सहयोग करते हुए उनके समक्ष हम पूरी बात रखेंगे।’’
भाषा सं आनन्द