देश में मार्च से जून तक लू लगने के 7,000 से अधिक मामले, 14 मौतें दर्ज की गईं: आरटीआई
खारी अमित
- 27 Jul 2025, 03:02 PM
- Updated: 03:02 PM
नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) देश में इस वर्ष एक मार्च से 24 जून के बीच लू लगने के 7,192 संदिग्ध मामले सामने आए और मात्र 14 मौतें दर्ज की गईं। यह जानकारी ‘पीटीआई’ को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त आंकड़े से मिली।
देश में 2024 में भीषण गर्मी के कारण लू लगने के लगभग 48,000 मामले और 159 मौतें दर्ज की गई थीं। 2024 का साल 1901 के बाद से भारत में दर्ज किया गया सबसे गर्म वर्ष था।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा साझा किए गए आंकड़े से पता चलता है कि अधिकतर मामले मई महीने में सामने आए जब गर्मी चरम पर होती है। मई में लू लगने के 2,962 संदिग्ध मामले और तीन मौतें दर्ज की गईं।
अप्रैल में लू लगने के 2,140 संदिग्ध मामले और छह मौतें दर्ज की गईं जबकि मार्च में 705 संदिग्ध मामले सामने आए और दो मौतें हुईं। जून के दौरान, महीने की 24 तारीख तक लू लगने के 1,385 संदिग्ध मामले और तीन मौतें दर्ज की गईं।
सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य आंध्र प्रदेश रहा जहां इस अवधि के दौरान लू लगने के कुल संदिग्ध मामलों में से आधे से अधिक यानी 4,055 संदिग्ध मामले दर्ज किए गए। वहीं राजस्थान में 373 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद ओडिशा (350), तेलंगाना (348) और मध्यप्रदेश (297) का स्थान रहा।
इतनी बड़ी संख्या के बावजूद, सैकड़ों संदिग्ध मामलों वाले कई राज्यों ने किसी भी मौत की पुष्टि नहीं की है।
आंकड़े से पता चलता है कि महाराष्ट्र और उत्तराखंड में लू लगने से सबसे ज्यादा तीन-तीन मौतें हुईं। तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में एक-एक मौत दर्ज की गई।
एनसीडीसी के आंकड़े एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत जुटाए जाते हैं और ये अस्पतालों द्वारा बताए गए मामलों पर आधारित होते हैं। इसका मतलब यह है कि जो मौतें अस्पतालों के बाहर होती हैं या जिन्हें सही ढंग से गर्मी से जुड़ी बीमारी के रूप में पहचाना नहीं जाता वे अक्सर दर्ज ही नहीं हो पातीं।
जून में ‘पीटीआई’ की पड़ताल से पता चला कि भारत में गर्मी से जुड़ी बीमारी और मौत के आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित नहीं है और अलग-अलग एजेंसियां इस विषय पर अलग-अलग आंकड़े देती हैं।
एनसीडीसी ने 2015-2022 में गर्मी से संबंधित 3,812 मौतें दर्ज कीं, जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 8,171 और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 3,436 मौतें दर्ज कीं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर स्वीकार किया कि लू लगने से होने वाली मौतों की पुष्टि करना स्वाभाविक रूप से कठिन है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘निगरानी प्रणालियां वास्तविक मामलों का केवल एक अंश ही दर्ज कर पाती हैं। हमारे पास कुछ आंकड़े तो हैं, लेकिन पूरी तस्वीर नहीं।’’
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्य पिछले वर्षों में एनसीडीसी को पूरे आंकड़े नहीं दे पाए। कुछ मामलों में, अधिकारियों पर मुआवजे के दावों से बचने के लिए मौत के आंकड़ों को दबाने के आरोप भी लगे हैं।
भाषा खारी