जांच एजेंसियां बरी हुए लोगों से माफी मांगें, उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए: सपा विधायक आजमी
प्रीति नेत्रपाल
- 22 Jul 2025, 09:28 PM
- Updated: 09:28 PM
मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आजमी ने 7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट के मामले में बरी किए गए 12 लोगों को मुआवज़ा देने की मंगलावर को मांग करते हुए कहा कि इन लोगों ने अपनी जिंदगी के 19 साल जेल में बिताए हैं, इसलिए जांच एजेंसियों को उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए।
आजमी ने कहा कि जांच में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए और यदि वे सेवानिवृत्त हो गए हैं तो उनकी पेंशन रोक दी जानी चाहिए।
विधायक ने कहा कि विस्फोटों में शामिल असली दोषियों की पहचान करने और 12 लोगों को झूठा फंसाने वालों की सच्चाई सामने लाने के लिए एक नया विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया जाना चाहिए।
मुंबई उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई 2006 को मुंबई में रेलगाड़ियों में किए गए सात बम धमाकों के मामले में सोमवार को सभी 12 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है तथा यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया है।
यह फैसला शहर के पश्चिमी रेलवे नेटवर्क को हिला देने वाले आतंकवादी हमले के 19 साल बाद आया है। इस हमले में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य लोग घायल हुए थे।
मुंबई के मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले आजमी ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि आरोपी व्यक्तियों को बरी कर दिया गया है। पहले दिन से ही मैंने कहा था कि गिरफ्तार किए गए लोग निर्दोष हैं और उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है।’’
उन्होंने घटनाक्रम को याद करते हुए कहा, ‘‘शुरू में इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। फिर एक दिन आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) और तत्कालीन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने दावा किया कि उन्हें मामले में मजबूत कड़ी मिल गई है और इसके बाद कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन निर्दोष लोगों को 19 साल तक जेल में रखा गया और उनमें से पांच या छह को तो मौत की सजा भी सुनाई गई।’’
आज़मी ने कहा कि जांच के दौरान उन्होंने यह कहा था कि फोन रिकॉर्ड से साबित हो सकता है कि आरोपी धमाके की जगहों पर मौजूद नहीं थे, लेकिन पुलिस ने डेटा हासिल करने की लागत ज्यादा होने का कारण बताते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था।
विधायक ने कहा कि जब उच्च न्यायालय में अपील की गई और अंततः रिकॉर्ड सुरक्षित कर लिए गए तो यह पता चला कि कोई भी आरोपी उन स्थानीय स्टेशन के आसपास नहीं था, जहां विस्फोट हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसा लगता है कि मुसलमानों के प्रति पुलिस का रवैया बेहद चिंताजनक और विभाजनकारी है। संवैधानिक मूल्यों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। जब भी कोई विस्फोट होता है तो मुसलमानों को गिरफ्तार किया जाता है। आज भी, कई निर्दोष मुसलमान न्याय के बिना वर्षों से जेल में बंद हैं।’’
आजमी ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि देश में न्याय प्रणाली ध्वस्त हो रही है।’’
उन्होंने सरकार से इस हमले में शामिल असली दोषियों की पहचान के लिए एक नयी एसआईटी गठित करने का आग्रह किया।
विधायक ने कहा, ‘‘यदि इन लोगों को बरी कर दिया गया है तो असली अपराधी कौन थे? उन्हें किसने झूठा फंसाया? सच्चाई सामने आनी चाहिए।’’
सपा विधायक ने कहा, ‘‘(विस्फोट के लिए) कोई न कोई तो जिम्मेदार होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने निर्दोष लोगों को फंसाकर मामले को दबाने की कोशिश की। अगर यह देश अब भी न्याय को कायम रखता है और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान का पालन करता है तो पहले की जांच में शामिल अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। अगर वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं तो उनकी पेंशन रोक दी जानी चाहिए और कानूनी कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।’’
आज़मी ने मामले में बरी किए गए लोगों के पुनर्वास की भी मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें घर और नौकरी देकर मुआवजा दिया जाना चाहिए। जांच एजेंसियों को उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए।’’
भाषा प्रीति