ईडी ने भूपेश बघेल के बेटे को शराब ‘घोटाला’ मामले में गिरफ्तार किया, पांच दिन की हिरासत में भेजे गए
संजीव राजकुमार
- 18 Jul 2025, 09:57 PM
- Updated: 09:57 PM
रायपुर, 18 जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से जुड़े एक कथित धनशोधन मामले में गिरफ्तार कर लिया। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि दुर्ग जिले के भिलाई शहर में भूपेश बघेल के आवास पर छापेमारी के बाद उनके बेटे चैतन्य बघेल को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हिरासत में लिया गया। पिता-पुत्र दोनों एक ही जगह रहते हैं।
घर के बाहर भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे, जबकि कुछ पार्टी समर्थक भी एकत्र थे।
भूपेश बघेल ने बताया कि शुक्रवार को चैतन्य का जन्मदिन है।
चैतन्य को गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने उन्हें रायपुर की एक विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया । अदालत ने उन्हें पांच दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।
केंद्रीय एजेंसी के अधिवक्ता सौरभ कुमार पांडेय ने संवाददाताओं को बताया कि चैतन्य बघेल को विशेष न्यायाधीश (धन शोधन निवारण अधिनियम-पीएमएलए) की अदालत में पेश किया गया और ईडी ने उनकी पांच दिनों की हिरासत मांगी।
पांडेय ने बताया कि अदालत ने 22 जुलाई तक चैतन्य को हिरासत भेज दिया।
उन्होंने बताया कि ईडी की जांच के दौरान सामने आए सबूतों के अनुसार, चैतन्य ने कथित तौर पर अपराध की आय के एक बड़े हिस्से का शोधन किया था और प्रथम दृष्टया वह 13 करोड़ रुपये के लाभार्थी भी थे।
अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने कथित तौर पर लगभग एक हजार करोड़ रुपये की आय का लेन-देन और ‘चैनलाइजेशन’ किया और घोटाले में शामिल सिंडिकेट की मदद की।
पांडेय ने बताया, ‘‘इसके अलावा, उनकी दो कंपनियां हैं जिनके माध्यम से दो समूहों (एक जौहरी से संबंधित कंपनी और एक सिटी मॉल से संबंधित कंपनी) की मिलीभगत से बहुत सारा पैसा निकाला गया।’’
उन्होंने बताया कि सिटी मॉल से संबंधित कंपनी ने बघेल की कंपनी से अपने कर्मचारियों के लिए नकद में 19 फ्लैट खरीदे, लेकिन ईडी के सामने इन कर्मचारियों ने कहा कि यह शराब घोटाले के पैसों को नियमित करने के अलावा और कुछ नहीं था।''
पांडेय ने बताया कि ईडी के पास पप्पू बंसल का बयान भी है, जिसमें उसके और चैतन्य के बीच हुए लेन-देन का खुलासा हुआ है।
चैतन्य बघेल के वकील फैसल रिजवी ने कहा कि ईडी द्वारा 2022 में कथित शराब घोटाले की जांच शुरू करने के बाद से, अब तक एक मुख्य अभियोजन शिकायत और तीन पूरक अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई हैं और इनमें से किसी में भी चैतन्य का नाम नहीं है।
उन्होंने कहा कि ईडी ने उनका बयान भी कभी दर्ज नहीं किया।
पांडेय ने कहा कि इस साल 10 मार्च को इस मामले में चैतन्य के खिलाफ पहली बार छापेमारी की गई थी।
उन्होंने कहा कि इस साल 16 मई को विशेष अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल ने ईडी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था। उन्होंने बताया कि उनके बयान के आधार पर चैतन्य को गिरफ्तार किया गया है।
रिजवी ने कहा, ''ईडी ने चैतन्य से कभी यह पूछताछ नहीं की कि बंसल द्वारा उन पर लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं। ''
उन्होंने कहा कि उन्होंने अदालत में तर्क दिया था कि चैतन्य के खिलाफ कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है।
सूत्रों ने बताया कि चैतन्य बघेल को धनशोधन रोकथाम अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया क्योंकि मामले में नये सबूत मिलने के बाद की गई छापेमारी के दौरान वह कथित तौर पर सहयोग नहीं कर रहे थे।
सूत्रों ने बताया कि चैतन्य बघेल से कथित रूप से जुड़ी कंपनियों को कथित शराब घोटाले से लगभग 17 करोड़ रुपये की अपराधिक आय प्राप्त हुई।
सूत्रों के अनुसार, लगभग 1,070 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ ही चैतन्य बघेल की भूमिका भी एजेंसी की जांच के दायरे में है।
ईडी ने दावा किया है कि "घोटाले" के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को "भारी नुकसान" हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम गई।
अपने बेटे को ईडी की रिमांड पर लिए जाने के बाद, भूपेश बघेल ने संवाददाताओं से कहा कि उनके बेटे के खिलाफ की गई कार्रवाई से साफ पता चलता है कि अगर छत्तीसगढ़ में कोई अदाणी का विरोध करता है, तो उसका हश्र चैतन्य जैसा ही होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘10 मार्च से आज तक चैतन्य को एक भी नोटिस नहीं दिया गया। एक भी जांच नहीं की गई और आज वे सीधे घर पर तलाशी वारंट लेकर आए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। क्या कानून का राज नहीं है?’’
बघेल ने कहा, ‘‘कांग्रेस द्वारा तमनार क्षेत्र (रायगढ़ जिले में एक कोयला खदान परियोजना के लिए) में पेड़ों की कटाई का मुद्दा उठाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई। यह कोयला खदान महाजेनको को आवंटित है और अदाणी इसके एमडीओ हैं। अडानी के गुंडे घुस आए और वन विभाग के अधिकारियों, राजस्व अधिकारियों और लगभग दो हजार सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में, रातोंरात लगभग पांच हजार पेड़ काट दिए गए। कांग्रेस ने इसका विरोध किया। आज ही, विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने विधानसभा में इस पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया और इसे दबाने के लिए ऐसी कार्रवाई की गई।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पूरा प्रशासन और सरकार दबाव में है। यह (कार्रवाई) इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि अगर अब छत्तीसगढ़ में कोई अदाणी का विरोध करेगा, तो उसका हश्र चैतन्य बघेल जैसा होगा। बघेल को दबाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए गए।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेसी न तो डरने वाले हैं और न ही दबने वाले हैं।
बघेल ने कहा कि यह लड़ाई सड़कों पर भी लड़ी जाएगी और अदालत में भी।
बघेल के कार्यालय द्वारा जारी संदेश में कहा गया है, ‘‘आज राज्य विधानसभा (मानसून) सत्र का आखिरी दिन है। तमनार में अदाणी के लिए पेड़ काटे जाने का मुद्दा (सदन में) उठाया जाना था, साहेब ने ईडी को भिलाई निवास भेज दिया है।’’
भूपेश बघेल ने इस महीने की शुरुआत में तमनार तहसील का दौरा किया था और स्थानीय ग्रामीणों को समर्थन दिया था, जो क्षेत्र में एक कोयला खदान परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं।
यह खदान महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को आवंटित है, जिसने एमडीओ (खदान विकासकर्ता सह संचालक) का ठेका अदाणी समूह को दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने यह भी कहा कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, लेकिन उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है और वे उनके साथ सहयोग करेंगे।
कांग्रेस विधायकों ने चैतन्य की गिरफ्तारी के विरोध में आज छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया और एजेंसी पर विपक्ष को परेशान करने की कोशिश का आरोप लगाया।
संघीय जांच एजेंसी ने 10 मार्च को चैतन्य बघेल के खिलाफ इसी तरह की छापेमारी की थी।
इस मामले में, ईडी ने जनवरी में पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा रायपुर के महापौर एवं कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य लोगों को इस जांच के तहत गिरफ्तार किया था।
ईडी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी।
इस जांच के तहत अब तक एजेंसी ने विभिन्न आरोपियों की लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। 2024 में, उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में ईडी की पहली ईसीआईआर (प्राथमिकी) को रद्द कर दिया था, जो आयकर विभाग की एक शिकायत पर आधारित थी।
बाद में, संघीय एजेंसी ने छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू/एसीबी को धनशोधन रोधी एजेंसी द्वारा साझा की गई सामग्री के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एक नयी प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने के बाद एक नया मामला दर्ज किया था।
ईओडब्ल्यू/एसीबी ने पिछले साल 17 जनवरी को, यानी 2023 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हराने के लगभग एक महीने बाद, प्राथमिकी दर्ज की थी और इसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और अन्य सहित 70 व्यक्तियों और कंपनियों को नामजद किया था।
ईडी के अनुसार, शराब की अवैध बिक्री से प्राप्त कथित कमीशन को "राज्य के सर्वोच्च राजनीतिक प्राधिकारियों के निर्देशों के अनुसार" साझा किया गया था।
भाषा संजीव