एसजीपीसी 14 जुलाई से धमकी भरे पांच ईमेल मिले
राजकुमार माधव
- 16 Jul 2025, 10:25 PM
- Updated: 10:25 PM
अमृतसर, 16 जुलाई (भाषा) शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बुधवार को कहा कि 14 जुलाई से अब तक स्वर्ण मंदिर को उड़ाने की धमकी वाले पांच ईमेल मिले हैं।
धामी ने यहां पत्रकारों से कहा कि बम हमलों की धमकी वाले पांच ई-मेल चिंता का विषय हैं।
चौदह जुलाई को जब पहला ई-मेल मिला तो प्रशासन ने स्वर्ण मंदिर के आसपास पुलिस की तैनाती बढ़ा दी थी।
इस बीच, अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि स्वर्ण मंदिर के बाहर तलाशी अभियान के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की एक बम निरोधक टीम तैनात की गई है।
धमकी भरे ईमेल के बारे में भुल्लर ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है।
धामी ने कहा कि एसजीपीसी ने सरकार और पुलिस प्रशासन को इन धमकियों के बारे में सूचित कर दिया है।
हालांकि, उन्होंने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि ईमेल भेजने वाले की पहचान अब भी अज्ञात है।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या ये धमकियां किसी दुर्भावनापूर्ण इरादे से की गई शरारत हैं या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं।
धामी ने कहा कि सचखंड श्री हरमंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर) समस्त मानवता के लिए एक आध्यात्मिक और समावेशी केंद्र है, जहां हर दिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
उन्होंने कहा कि यह इस पवित्र स्थल पर मत्था टेकने आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं में भय पैदा करने का प्रयास हो सकता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन ईमेल के स्रोत का तुरंत पता लगाना सरकार की ज़िम्मेदारी है, जिसमें सर्वर, आईपी एड्रेस और मूल देश शामिल हैं।
धामी ने खुलासा किया कि 15 और 16 जुलाई को धमकी भरे ईमेल न केवल एसजीपीसी को, बल्कि अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी भेजे गये थे, फिर भी, सरकार यह पता लगाने में विफल रही है कि इनके पीछे कौन था।
इस बीच, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि धमकी भरे ईमेल बेहद गंभीर मामला हैं।
उन्होंने पंजाब और केंद्र सरकार से इस मामले की गंभीरता को समझते हुए दोषियों को पकड़ने के लिए गहन जांच करने की अपील की, ताकि संगत के मन में असुरक्षा की भावना पैदा न हो।
इस बीच, पंजाब विधानसभा में पेश किए गए बेअदबी विरोधी विधेयक का धामी ने स्वागत किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के कानून पर चर्चा हो रही है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले, पिछली अकाली दल सरकार ने भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी और भावनाओं का सम्मान करते हुए इस मामले को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
भाषा
राजकुमार