बांग्लादेश : पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोप तय
शफीक माधव
- 10 Jul 2025, 09:29 PM
- Updated: 09:29 PM
ढाका, 10 जुलाई (भाषा) बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मानवता के विरुद्ध अपराध के एक मामले में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से आरोप तय किये गये।
विशेष न्यायाधिकरण ने मुकदमे की शुरुआत की तारीख तीन अगस्त तय की है।
अभियोजन के वकील ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) ने हसीना के साथ-साथ उनके शासन के दौरान गृह मंत्री रहे असदुज्जमां खान कमाल और (तत्कालीन) पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल मामून के खिलाफ भी आरोप तय किए हैं।’’
न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरोपों को रद्द करने की बचाव पक्ष की याचिका को खारिज करने के बाद यह आदेश पारित किया।
तीनों के खिलाफ पिछले साल जुलाई-अगस्त में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों को दबाने के उनके प्रयासों के लिए मानवता के विरुद्ध अपराध का मुकदमा चलाने का आदेश दिया गया है।
यदि दोष सिद्ध हो जाए तो व्यक्ति को मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच बांग्लादेश में 1,400 लोग मारे गए थे, क्योंकि हसीना सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था।
अभियोजकों ने कहा कि हसीना के खिलाफ विद्रोह को दबाने के लिए नरसंहार, हत्या और यातना देने का भी आरोप लगाया गया है।
उन्होंने बताया कि एकमात्र मौजूद आरोपी मामून को अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है।
बाकी दो आरोपियों - हसीना और खान - की अनुपस्थिति में मुकदमा चलेगा।
पिछले वर्ष हुए हिंसक छात्र आंदोलन के चलते अवामी लीग सरकार के अपदस्थ होने के बाद हसीना पांच अगस्त को भारत चली गई थीं।
इस बीच, हसीना की पार्टी अवामी लीग ने उनके और अन्य नेताओं के खिलाफ ‘‘अवैध अदालत’’ द्वारा अभियोग लगाए जाने की निंदा की और कहा कि यह कदम ‘‘यूनुस शासन द्वारा हमारी पार्टी के खिलाफ जारी उत्पीड़न और न्यायपालिका के दुरुपयोग का एक और प्रमाण है।’’
पार्टी ने ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, ‘‘ग्यारह महीनों में, लोगों का न्यायिक व्यवस्था पर से विश्वास उठ गया है क्योंकि यूनुस शासन ने इस प्रमुख संस्था को असहमति जताने वालों पर मुकदमा चलाने का एक जरिया बना दिया है।’’
भाषा शफीक