‘ग्लोबल साउथ’ को 'सही मंच' पर उसका 'उचित स्थान' दिलाने के लिए काम करेंगे: प्रधानमंत्री मोदी
जोहेब सुभाष
- 05 Jul 2025, 01:10 AM
- Updated: 01:10 AM
(तस्वीरों के साथ)
पोर्ट ऑफ स्पेन, चार जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि विकासशील देशों की आवाज पुरजोर तरीके से नहीं उठाई जा रही है और ‘ग्लोबल साउथ’ को ‘‘सही मंच’’ पर उसका ‘‘उचित स्थान’’ दिलाने के लिए भारत अपने साझेदारों के साथ काम करेगा।
त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद “मानवता का दुश्मन” है और वैश्विक समुदाय को इसे पनाह या कोई भी जगह नहीं देने के लिए एकजुट होना चाहिए।
मोदी ने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता के दौरान ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को वैश्विक निर्णय प्रक्रिया के केंद्र में लाया था।
उन्होंने कहा, “हमारी साझेदारियां सम्मान और बिना किसी शर्त पर आधारित हैं।”
मोदी ने स्पष्ट रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत और चीन के नजरिये के बीच अंतर को रेखांकित करने के लिए यह बात कही।
प्रधानमंत्री ने प्रतिकूल भू-राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए राजनीति और सत्ता की प्रकृति में मूलभूत बदलावों और बढ़ते वैश्विक "विभाजन, विवाद व असमानताओं" के बारे में बात की।
कैरेबियाई देश की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारत के पहले प्रधानमंत्री (मोदी) ने कहा कि मुक्त व्यापार दबाव में है और विश्व जलवायु परिवर्तन, खाद्य, स्वास्थ्य एवं ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
उन्होंने कहा, “पुरानी संस्थाएं शांति और प्रगति लाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। इस बीच ग्लोबल साउथ उभर रहा है। इसमें शामिल देश एक नयी और अधिक निष्पक्ष विश्व व्यवस्था देखना चाहते हैं।’’
मोदी ने कहा, “जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हुए, तो विकासशील देशों में बड़ी उम्मीद जगी थी। उम्मीद थी कि काफी समय से लंबित सुधार साकार होंगे। आखिरकार हमारी आवाज सुनी जाएगी। लेकिन वह उम्मीद निराशा में बदल गई।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकासशील देशों की आवाज पुरजोर तरीके से नहीं उठाई जा रही है और भारत ने हमेशा इस खामी को दूर करने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि हम मिलकर काम करें, ताकि ग्लोबल साउथ को सही मंच पर उचित स्थान मिल सके।”
उन्होंने कहा, “जलवायु न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हम इस प्रयास में त्रिनिदाद एवं टोबैगो को एक महत्वपूर्ण साझेदार मानते हैं।”
मोदी ने कहा कि भारत की महासागर (विभिन्न क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक व समग्र दृष्टिकोण) पहल ग्लोबल साउथ के लिए एक मार्गदर्शक है।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को एक "गंभीर खतरा" बताया और इससे निपटने के लिए ठोस प्रयासों का आह्वान किया।
मोदी ने कहा, ‘‘आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। इसी रेड हाउस (त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद) ने खुद आतंकवाद के घाव और निर्दोष लोगों के खून को बहते देखा है।’’
उन्होंने कहा, “हमें आतंकवाद को किसी भी तरह की पनाह या स्थान नहीं देने के लिए एकजुट होना चाहिए। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमारे साथ खड़े होने के लिए इस देश के लोगों और सरकार को धन्यवाद देते हैं।”
मोदी ने भारत के आर्थिक विकास का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर क्षेत्र, हर समाज इस विकास गाथा का हिस्सा है। उन्होंने कहा, "भारत का विकास समावेशी और जन-केंद्रित है...ऐसे समावेशी विकास के लिए हमारा दृष्टिकोण हमारी सीमाओं तक ही सीमित नहीं है। हम अपने विकास को दूसरों के प्रति जिम्मेदारी के रूप में भी देखते हैं। और, हमारी प्राथमिकता हमेशा ग्लोबल साउथ रहेगी।"
'ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है, जो प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास के मामले में कम विकसित माने जाते हैं। ये देश मुख्यतः दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित हैं। इसमें अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देश शामिल हैं।
भाषा जोहेब