दिलीप घोष ने नयी पार्टी की अफवाहें खारिज की, कहा;लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भाजपा काफी
पारुल पवनेश
- 04 Jul 2025, 08:01 PM
- Updated: 08:01 PM
कोलकाता, चार जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने सभी अफवाहों को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह भाजपा के "वफादार सिपाही" हैं और उनका नयी पार्टी बनाने का कोई इरादा नहीं है।
घोष की यह टिप्पणी पिछले कुछ हफ्तों से जारी इन अटकलों के बीच आई हैं कि वह पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले नयी पार्टी का गठन कर सकते हैं। उन्हें भाजपा की प्रदेश इकाई में भी काफी समय से ज्यादा सक्रिय नहीं देखा गया है।
न्यू टाउन में सुबह की सैर के बाद पत्रकारों से बातचीत में घोष ने कहा, "भाजपा ने मुझे मंच दिया, विधायक बनाया, सांसद बनाया और संगठनात्मक जिम्मेदारियां सौंपीं। यहां तक कि जिस कार और सुरक्षा का मैं इस्तेमाल करता हूं, वह भी पार्टी ने मुहैया कराई। मैंने कभी कुछ नहीं मांगा। अगर पार्टी चाहती है कि मैं एक साधारण सदस्य के तौर पर काम करूं, तो मैं ऐसा करूंगा। अगर वे मुझे बुलाते हैं, तो मैं जाऊंगा। अगर वे नहीं बुलाते हैं, तो मैं नहीं जाऊंगा। व्यवस्था ऐसे ही चलती है।"
सुबह की सैर के दौरान राजनीतिक संदेश देने के लिए मशहूर घोष के अध्यक्षीय काल में ही भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई राज्य में अपनी पैठ जमाने में सफल हो सकी थी।
उन्होंने कहा कि नयी पार्टी की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि भाजपा लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी।
घोष ने कहा, "मैंने यहां पार्टी को स्थापित करने में मदद की। मुझे नयी पार्टी बनाने की कोई जरूरत नहीं है। हमने 70 साल में जो भाजपा बनाई है, वह लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। नयी पार्टी की कोई जरूरत नहीं है।"
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए राजनीतिक रूप से प्रतीकात्मक 21 जुलाई की तारीख से पहले एक चौंकाने वाले कदम की हो रही चर्चा के बारे में पूछे जाने पर घोष ने कहा, "लोग कल्पना करने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्हें 21 तारीख तक चीजों की कल्पना करने दें। तारीख पर तारीख। लेकिन कुछ लोग इसी तरह बाजार में रहते हैं। और दिलीप घोष अभी भी बाजार में हैं।"
घोष को दीघा में नये जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन में हिस्सा लेने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करने के लिए अपनी ही पार्टी के भीतर आलोचना का सामना करना पड़ा था।
अपना पक्ष दोहराते हुए उन्होंने कहा, "मैं वहां किसी का प्रतिनिधित्व करने नहीं गया था। मैं एक करदाता हूं। मंदिर का निर्माण जनता के पैसे से हुआ है। एक सम्मानित नागरिक के तौर पर मैं वहां गया था।"
कुणाल घोष और अरूप बिस्वास जैसे टीएमसी नेताओं के साथ अपने संबंधों के बारे में घोष ने कहा, "मैं उन्हें लंबे समय से जानता हूं और उनके साथ व्यक्तिगत तालमेल है। इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।"
उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, "मेरी दोस्ती और दुश्मनी औपचारिक नहीं होती।"
भाषा पारुल