लोकसभा में जैसे संविधान मुद्दा था, उसी तरह बिहार चुनाव में एसआईआर हो सकता है मुद्दा: भट्टाचार्य
हक पवनेश
- 04 Jul 2025, 06:40 PM
- Updated: 06:40 PM
(अंजलि ओझा)
नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किए बिना बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का कदम आम मतदाताओं पर की गई ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक’’ की तरह है और यह राज्य विधानसभा चुनाव में उसी तरह से सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में संविधान का विषय बना था।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग के इस फैसले को अदालत में चुनौती देने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता।
भट्टाचार्य ने कहा कि आगामी नौ जुलाई को उनके संगठन द्वारा आहूत हड़ताल में एसआईआर की कवायद के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, हालांकि यह हड़ताल श्रम संहिता और अन्य मुद्दों को लेकर है।
वामपंथी नेता ने कहा कि आने वाले दिनों में एआईआर के खिलाफ विरोध व्यापक रूप ले सकता है।
बिहार में शुरू हुई एसआईआर की प्रक्रिया का मकसद नए सिरे से मतदाता सूची तैयार करना है। चुनाव आयोग के अनुसार, एक जुलाई, 1987 से पहले जन्म लेने वालों को अपने लिए कोई एक दस्तावेज़ प्रदान करना होगा, एक जुलाई 1987 और दो दिसंबर, 2004 के बीच जन्म लेने वालों को अपने और माता-पिता में से किसी एक के लिए दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे, जबकि दो दिसंबर, 2004 के बाद जन्मे व्यक्तियों को अपने और माता-पिता दोनों के लिए दस्तावेज़ जमा करने होंगे।
भट्टाचार्य ने कहा कि 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान संविधान के खतरे में होने की कहानी एक प्रमुख मुद्दा थी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के कदम ने इस मामले को घर-घर तक पहुंचा दिया है।
भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव के अनुसार, एसआईआर शायद चुनाव का सबसे बड़ा एजेंडा होगा।
इसी के साथ, उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में संविधान मुख्य विषय था।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘संविधान के खतरे में होने की बात चुनाव आयोग ने अब सामने ला दी है। हर कोई अब समझता है कि संविधान इतना महत्वपूर्ण क्यों है और हम क्यों कह रहे हैं कि संविधान आज खतरे में है। इसलिए, शायद यह मतदाताओं को उत्साहित करेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मतदाता आएंगे और अपने वोट के माध्यम से अपना गुस्सा व्यक्त करेंगे, बशर्ते उनके नाम मतदाता सूची में हों।’’
भाकपा (माले) के नेता ने कहा कि राजनीतिक दलों के साथ परामर्श किए बिना एसआईआर पर उठाया गया कदम ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक’’ जैसा और बिहार के लोग इसे लेकर आक्रोशित हैं।
भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘जहां भी लोगों को इसके (एसआईआर) बारे में पता चला है, वे आंदोलन कर रहे हैं। वे बहुत आशंकित हैं कि मताधिकार से वंचित किया जा सकता है। हम उनकी आवाज को बुलंद करने जा रहे हैं, उन्हें संगठित करेंगे।’’
उनका कहना है कि कि 9 जुलाई को हड़ताल के दौरान मतदान का अधिकार एक प्रमुख मुद्दा होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘बिहार सख्ती से जवाब देगा और लोकतंत्र में जन आंदोलन ही शायद एकमात्र रास्ता बचा है।’’
उन्होंने कहा कि अदालत का दरवाजा खटखटाने के विकल्प से भी इनकार नहीं है।
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