स्टेनलेस स्टील उद्योग के लिए संरक्षणवादी उपायों की जरूरत : अभ्युदय जिंदल
राजेश राजेश अजय
- 03 Jul 2025, 04:57 PM
- Updated: 04:57 PM
नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) सस्ते स्टेनलेस स्टील के आयात पर लगाम लगाने के लिए संरक्षणवादी उपायों की मांग करते हुए जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त इस्पात उत्पादन क्षमता है।
जिंदल ने यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोप के अलावा बहुत कम इस्पात उत्पादन वाले देश भी संरक्षणवादी उपाय अपना रहे हैं।
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिंदल ने कहा, ‘हमारे देश’ की सुरक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है।
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जिंदल ने कहा, ‘‘अमेरिका ने यह किया है, यूरोप काफी समय से ऐसा कर रहा है। अब, पश्चिम एशिया जैसे देश, जहां बहुत अधिक इस्पात उत्पादन नहीं होता है, कनाडा, जहां बहुत अधिक इस्पात उत्पादन नहीं होता है, वे भी संरक्षणवादी उपायों को अपना रहे हैं।’’
जिंदल ने घरेलू इस्पात उद्योग के हितों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की।
उन्होंने कहा, ‘‘वियतनाम से घटिया चीनी सामग्री आ रही थी...हमारी सरकार स्पष्ट दृष्टिकोण अपना रही है, देश में पर्याप्त क्षमता है, हम किसी भी तरह के ग्रेड, किसी भी तरह की गुणवत्ता का उत्पादन कर सकते हैं, जिसकी आवश्यकता है।’’
उद्योग के अनुमान के अनुसार, भारत की स्थापित स्टेनलेस स्टील क्षमता 75 लाख टन है। इसमें से वर्तमान उपयोग लगभग 60 प्रतिशत है, जो इसमें बढ़ोतरी की महत्वपूर्ण क्षमता को दर्शाता है। लेकिन इसके लिए सही नीतिगत माहौल और मांग की गति बनाए रखने की जरूरत है।
जिंदल ने कहा कि चूंकि घरेलू क्षमताएं बेकार पड़ी हैं और 30 प्रतिशत खपत अब भी आयात से आ रही है, इसलिए स्टेनलेस स्टील में निवेश प्रभावित होना तय है।
बाजार अनुसंधान फर्म बिगमिंट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का स्टेनलेस स्टील आयात बढ़कर 17.3 लाख टन हो गया। इसमें चीन, इंडोनेशिया, वियतनाम और दक्षिण कोरिया का प्रमुख योगदान रहा।
जिंदल ने स्टेनलेस स्टील क्षेत्र के हितों को बढ़ावा देने के लिए एक अलग राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील नीति और वर्गीकरण की भी वकालत की।
सरकार ने वर्ष 2017 में इस्पात क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय इस्पात नीति जारी की थी। दिसंबर, 2024 में केंद्रीय इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने इस्पात उद्योग के लिए 'हरित इस्पात’ पर वर्गीकरण' जारी किया, जिसमें उत्पादन प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ-2) की मात्रा के आधार पर उत्पादों पर स्टार रेटिंग देने के मानक शामिल थे।
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