रिलायंस कम्युनिकेशन के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करेगा एसबीआई
अनुराग अजय
- 02 Jul 2025, 06:13 PM
- Updated: 06:13 PM
नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करने और इसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को रिपोर्ट करने का फैसला किया है।
संभावना है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) को ऋण देने वाले अन्य ऋणदाताओं द्वारा भी यही कदम उठाया जाएगा।
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि उसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से इस संबंध में 23 जून, 2025 का एक पत्र मिला है।
बैंक की ‘धोखाधड़ी पहचान समिति’ को कर्ज के निर्धारित से अलग इस्तेमाल का पता चला है।
एसबीआई ने बताया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि एसबीआई ने कंपनी के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में दर्ज करने और आरबीआई के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार अनिल अंबानी का नाम केंद्रीय बैंक को रिपोर्ट करने का फैसला किया है।
आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, जब कोई बैंक किसी खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करता है, तो ऋणदाता को धोखाधड़ी का पता चलने के 21 दिन के भीतर आरबीआई को इसकी सूचना देनी चाहिए और मामले की सूचना सीबीआई/पुलिस को भी देनी चाहिए।
सूचना के अनुसार, रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी अनुषंगी कंपनियों को बैंकों से कुल 31,580 करोड़ रुपये का कर्ज मिला था।
रिलायंस कम्युनिकेशन फिलहाल परिसमापन प्रक्रिया से गुजर रही है।
एसबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशन को भेजे पत्र में कहा कि इसमें पाया गया है कि कर्ज के निर्धारित के बजाय अन्यत्र इस्तेमाल के कारण समूह की कई इकाइयोंमें कोष की आवाजाही का जटिल जाल फैला हुआ है।
उसने कहा, “हमने अपने ‘कारण बताओ नोटिस’ के जवाबों का संज्ञान लिया है और उनकी उचित जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि प्रतिवादी द्वारा ऋण दस्तावेजों की सहमत शर्तों और नियमों का पालन न करने या आरसीएल के खाते के संचालन में बैंक की संतुष्टि के लिए देखी गई अनियमितताओं को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं बताए गए हैं।”
पत्र में कहा गया है कि तदनुसार, बैंक की धोखाधड़ी पहचान समिति ने आरसीएल के ऋण खाते को ‘धोखाधड़ी’ के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय लिया है।
आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, दंडात्मक प्रावधान, कंपनी के प्रवर्तक निदेशक और अन्य पूर्णकालिक निदेशकों सहित धोखाधड़ी करने वाले उधारकर्ता पर लागू होते हैं।
विशेष रूप से, जिन उधारकर्ताओं ने ऋण नहीं चुकाया है तथा खाते में धोखाधड़ी भी की है, उन्हें धोखाधड़ी की गई राशि के पूर्ण भुगतान की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए बैंकों, विकास वित्तीय संस्थानों, सरकारी स्वामित्व वाली एनबीएफसी आदि से वित्त प्राप्त करने पर रोक लगा दी जाएगी।
इस अवधि के बाद, यह निर्णय अलग-अलग संस्थाओं को लेना होगा कि ऐसे उधारकर्ता को ऋण दिया जाए या नहीं तथा धोखाधड़ी वाले खातों के मामले में कोई पुनर्गठन या अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान नहीं की जा सकती हैं।
धोखाधड़ी पहचान समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कुल ऋण में से 13,667.73 करोड़ रुपये यानी करीब 44 प्रतिशत का उपयोग कर्ज और अन्य दायित्वों के पुनर्भुगतान में किया गया।
कुल ऋण का 41 प्रतिशत यानी 12,692.31 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग संबंधित पक्षों को भुगतान करने के लिए किया गया।
शेयर बाजार को दी गई सूचना में बताया गया कि 6,265.85 करोड़ रुपये का उपयोग अन्य बैंक कर्ज को चुकाने के लिए किया गया और 5,501.56 करोड़ रुपये का भुगतान संबंधित या जुड़े पक्षों को किया गया, जो स्वीकृत उद्देश्यों से संरेखित नहीं थे।
इसके अलावा, देना बैंक से 250 करोड़ रुपये के ऋण (जो वैधानिक बकाया के लिए था) का इस्तेमाल स्वीकृत उपयोग के अनुरूप नहीं किया गया। ऋण को रिलायंस कम्युनिकेशन समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरसीआईएल) को अंतर-कॉरपोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में हस्तांतरित कर दिया गया और बाद में दावा किया गया कि इसका उपयोग बाह्य वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) चुकाने के लिए किया गया है।
समिति ने पाया कि पूंजीगत व्यय को पूरा करने के लिए आईआईएफसीएल द्वारा 248 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया था, लेकिन कंपनी ने ऋण चुकाने के लिए रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल) को 63 करोड़ रुपये और आरआईईएल को 77 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
रिपोर्ट में कहा गया, “...लेकिन इन कंपनियों को सीधे धन का हस्तांतरण करने के बजाय इसे आरसीआईएल के जरिये भेजा गया, इसका कारण प्रबंधन या अनिल अंबानी की ओर से नहीं बताया गया है। ये (देना बैंक और आईआईएफसीएल ऋण का उपयोग) कोष का दुरुपयोग और विश्वासघात प्रतीत होता है।”
समिति ने समूह द्वारा बैंक ऋणों के संभावित मार्ग निर्धारण पर गौर किया, जिसमें मोबाइल टावर कंपनी रिलायंस इन्फ्राटेल लिमिटेड (आरआईटीएल), दूरसंचार सेवा कंपनी रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (आरटीएल), रिलायंस कम्युनिकेशंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरसीआईएल), नेटिजन, रिलायंस वेबस्टोर (आरडब्ल्यूएसएल) आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट कहती है कि आरकॉम, आरआईटीएल और आरटीएल ने कुल 41,863.32 करोड़ रुपये के आईसीडी (अंतर-कॉरपोरेट जमा) लेनदेन किए, जिनमें से केवल 28,421.61 करोड़ रुपये के उपयोग की सही जानकारी उपलब्ध है।
भाषा अनुराग