अमरनाथ यात्रा: महिला सुरक्षाकर्मियों सहित बीएसएफ जवानों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ाई सुरक्षा
जितेंद्र नरेश
- 29 Jun 2025, 07:37 PM
- Updated: 07:37 PM
बोबिया, 29 जून (भाषा) भीषण गर्मी, उमस व दुश्मन की चालों के खतरे से बेपरवाह वर्दी पहने और एके राइफल से लैस महिला सुरक्षाकर्मी जम्मू सीमांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कड़ी निगरानी रख रही हैं।
तीन जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा से पहले अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
तीन जुलाई से 38 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा दो मार्गों से होकर गुजरती है, जिनमें से एक अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा पहलगाम मार्ग है, वहीं दूसरा गांदरबल जिले का 14 किलोमीटर लंबा बालटाल मार्ग, जो छोटा लेकिन खड़ी चढ़ाई वाला रास्ता है।
ये दोनों रास्ते 3,880 मीटर ऊंचे अमरनाथ गुफा मंदिर तक जाते है। यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले तीर्थयात्रियों का पहला जत्था जम्मू स्थित भगवती नगर आधार शिवर से कश्मीर के लिए रवाना होगा।
बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट पहने दुनिया के सबसे बड़े सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की महिला सैनिक सीमा पर गश्त लगाती हैं, निगरानी उपकरणों के साथ सीमा रेखा की निगरानी करती हैं और जम्मू, सांबा व कठुआ जिलों में एक उन्नत बहु-स्तरीय सुरक्षा ग्रिड के हिस्से के रूप में अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिन-रात अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करती हैं।
त्रि-स्तरीय सीमा बाड़बंदी के साथ गश्त कर रहे बीएसएफ के एक जवान ने बताया, “हम सीमा पर उच्च स्तर की सतर्कता बनाए हुए हैं। सीमा पार से किसी भी तरह की शरारत की स्थिति में, मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।”
यह पूछने पर कि मुंहतोड़ जवाब क्या होगा, तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया, ‘गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा’।
सातों दिन चौबीसों घंटे गश्त के अलावा बीएसएफ निगरानी उपकरणों, रात के समय अंधेरे में देखने में मदद करने वाले उपकरणों, ‘ग्राउंड सेंसर’ और उच्च क्षमता वाले कैमरों के साथ-साथ इलाके की निगरानी कर रही है।
जवानों ने बताया कि वे भारत-पाक सीमा पर होने वाली छोटी-छोटी हरकतों पर भी कड़ी नज़र रखते हैं और दिन-रात सतर्क रहते हैं।
वे हमेशा अपनी अभियानगत तत्परता बनाए रखते हैं।
जम्मू जिले के अखनूर क्षेत्र में संवेदनशील इलाकों से लेकर पंजाब की सीमा से लगे कठुआ जिले तक लगभग 200 किलोमीटर लंबी सीमा को तीन-स्तरीय सीमा बाड़ से सुरक्षित किया गया है।
हालांकि, उज्ह, बसंतर, तवी और चिनाब जैसी नदियों के किनारे के हिस्सों के कारण सीमा की सुरक्षा करना एक चुनौतीपूर्ण काम है, खासकर मानसून के दौरान।
एक अन्य जवान ने बताया, “बारिश के मौसम में सुरक्षा बनाए रखना हमेशा एक चुनौती होती है, लेकिन बीएसएफ पूरे साल मौसम की परवाह किए बिना सीमा की रखवाली करती है।”
यात्रा से पहले, बीएसएफ के जवान सतर्कता उपायों के तहत सुरंग रोधी अभ्यास भी कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर जम्मू-पठानकोट राजमार्ग तक के सभी मार्गों को सील किया जा रहा है और बीएसएफ, सेना, सीमा पुलिस, ग्राम रक्षा गार्ड और स्थानीय पुलिस को शामिल करते हुए तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत व्यापक सुरक्षा उपाय लागू किए गए हैं।
भाषा जितेंद्र