केरल: सरकारी अस्पताल में उपकरणों की कमी के बारे में चिकित्सक के खुलासे से विवाद, जांच के आदेश
जितेंद्र रंजन
- 29 Jun 2025, 03:45 PM
- Updated: 03:45 PM
तिरुवनंतपुरम, 29 जून (भाषा) केरल सरकार के स्वामित्व वाले तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में शल्य चिकित्सा उपकरणों की कमी और सर्जरी में देरी के बारे में खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं।
यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख हरीश चिरक्कल ने ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट में इस मुद्दे को उजागर किया था, जिसे उन्होंने बाद में हटा दिया।
उन्होंने हालांकि रविवार को पत्रकारों से कहा कि उनकी चिंताएं जायज हैं।
हरीश ने कहा, “मैंने जो कहा वह सच था। मैं सच बोलने के बाद छिपना नहीं चाहता। मेरे खुलासे के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है।”
वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और अस्पताल अधीक्षक समेत वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष बार-बार इस मामले को उठाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हरीश ने कहा कि उनकी स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज तक पहुंच नहीं है लेकिन उन्होंने मंत्री के कार्यालय को अपने विभाग और सामान्य रूप से अस्पताल के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में सूचित किया था।
उन्होंने कहा, “सभी विभागों में समस्याएं हैं। लेकिन कोई भी डर के कारण इसे नहीं उठा रहा है। कई बार, हमारे अनुरोध के आधार पर मरीजों द्वारा स्वयं चिकित्सा उपकरण खरीदने के बाद सर्जरी की गई।”
हरीश ने कहा कि अस्पताल में उपकरणों की लगातार कमी के कारण वे स्वैच्छिक संगठनों और चिकित्सा कंपनियों से बार-बार संपर्क करके तंग आ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इसी वजह से उन्हें तंत्र की विफलता का खुलासा करना पड़ा।
हरीश ने यह भी चिंता जताई कि उन्हें विजिलेंस जांच का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें सर्जरी में देरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा उपकरण खरीदने को लेकर दूसरे रास्ते अपनाने पड़े थे।
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को मीडिया को संबोधित करते हुए डॉ. हरीश की आलोचना से परहेज किया और उन्हें एक मेहनती व भरोसेमंद चिकित्सा पेशेवर बताया।
उन्होंने कहा कि चिकित्सक द्वारा उठाई गई चिंताएं स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे के भीतर प्रणालीगत मुद्दों को दर्शाती हैं।
जॉर्ज ने आश्वासन दिया कि चिकित्सक के बयानों की गहन जांच की जाएगी। जॉर्ज ने राज्य में चिकित्सा प्रणाली को बदनाम करने के लिए इस मामले का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी।
उन्होंने सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा उपकरणों की खरीद में प्रक्रियागत बाधाओं को स्वीकार करते हुए कहा कि अगर आवश्यक हो तो ऐसे नियमों में ढील दी जानी चाहिए।
जॉर्ज ने कहा, “प्रक्रियाओं (चिकित्सा उपकरण खरीदने में) में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। हम निश्चित रूप से जांच करेंगे कि क्या इस तरह की देरी यहां हुई है।”
उन्होंने डॉ. हरीश की रोगी कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता और मरीजों की चिंताओं के लिए उनकी मुखरता की भी प्रशंसा की।
मंत्री ने सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों के महत्व पर जोर देते हुए यह भी कहा कि 2021 में मुफ्त इलाज का लाभ उठाने वाले कुल रोगियों की संख्या 2.5 लाख थी, तो अब यह बढ़कर 6.50 लाख हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि डॉ. हरीश के खुलासे की व्यापक जांच की जाएगी।
चिकित्सक के खिलाफ संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई के बारे में मीडिया में आई खबरों के बीच, चिकित्सकों के संगठन ने रविवार को उन्हें पूरा समर्थन दिया और कहा कि अगर अधिकारी इस तरह का कोई जवाबी कदम उठाते हैं तो वे मामले में हस्तक्षेप करेंगे।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई), डॉ. विश्वनाथन के. ने उपकरणों की कमी के खुलासे के तुरंत बाद मीडिया को बताया कि डॉ. हरीश का बयान ‘भ्रामक’ है और वह भावनात्मक रूप से भड़के हुए थे।
उन्होंने दावा किया कि चिकित्सा उपकरण खरीदने में देरी सिर्फ तकनीकी थी और सरकार ने यूरोलॉजी विभाग के लिए सभी जरूरी उपकरण पहले ही खरीद लिए थे।
भाषा जितेंद्र