एसीबी ने ‘आप’ के पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन और सौरभ भारद्वाज के खिलाफ मामला दर्ज किया
नोमान खारी
- 26 Jun 2025, 11:23 PM
- Updated: 11:23 PM
नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने आम आदमी पार्टी (आप) की पूर्ववर्ती सरकार में स्वास्थ्य अवसंरचना परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में पूर्व मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों भारद्वाज और जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एसीबी से जांच कराने की मंजूरी दिए जाने के कुछ दिनों बाद यह मामला दर्ज किया गया है।
‘आप’ ने सवाल उठाया कि भारद्वाज और जैन के खिलाफ प्राथमिकी को क्यों छिपाकर रखा जा रहा है, जबकि चुनिंदा प्रेस नोट मीडिया को लीक किए जा रहे हैं।
पार्टी कहा, ‘‘क्या प्राथमिकी इतनी निराधार है कि भाजपा को डर है कि अगर इसे सार्वजनिक किया गया तो यह राष्ट्रीय मजाक बन जाएगा?’’
एसीबी में संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा ने कहा कि प्राथमिकी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (लोक सेवक या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत भारद्वाज, जैन, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि कथित साजिश को बेनकाब करने तथा इसमें शामिल पूर्व मंत्रियों, अधिकारियों और निजी संस्थाओं की भूमिका और जवाबदेही निर्धारित करने के लिए एक व्यापक जांच शुरू की गई है।
वर्मा के अनुसार, 2018-19 में 5,590 करोड़ रुपये की लागत से 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी जिनमें 11 ‘ग्रीनफील्ड’ और 13 ‘ब्राउनफील्ड’ शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इन परियोजनाओं को लेकर अकारण विलंब हुआ और इनकी लागत में अत्यधिक वृद्धि हुई।
वर्मा ने कहा कि पिछले साल 22 अगस्त को दिल्ली के तत्कालीन विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता से एक विस्तृत शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें ‘‘दिल्ली सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में गंभीर अनियमितताओं और संदिग्ध भ्रष्टाचार’’ के बारे में बताया गया था।
उन्होंने बताया कि शिकायत में भारद्वाज और जैन का नाम दिया गया था तथा उन पर ‘‘परियोजना बजट में हेरफेर, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग और निजी ठेकेदारों के साथ मिलीभगत’’ का आरोप लगाया गया।
आरोप कि 2018-2019 के दौरान 5,590 करोड़ रुपये की लागत वाली 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। हालांकि, ये परियोजनाएं काफी हद तक अधूरी रहीं। इन परियोजनाओं की लागत काफी बढ़ गई।
वर्मा ने कहा कि इसी तरह 1,125 करोड़ रुपये की आईसीयू अस्पताल परियोजना लगभग तीन साल और 800 करोड़ रुपये के खर्च होने के बाद भी केवल 50 प्रतिशत ही पूरी हुई है।
उन्होंने बताया कि शिकायत के सत्यापन से पता चला कि ज्वालापुरी और मादीपुर के सरकारी अस्पतालों में सक्षम प्राधिकारियों की मंजूरी के बिना अनधिकृत अतिरिक्त निर्माण कार्य किया गया।
अधिकारी ने बताया कि मादीपुर अस्पताल परियोजना नवंबर 2022 तक पूरी होनी थी, लेकिन यह अब भी अधूरी पड़ी है।
अधिकारी ने बताया कि यह बात सामने आई है कि सात आईसीयू अस्पतालों की लागत में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, तथा निर्माण कार्य के पूरा होने की समयसीमा फरवरी 2022 थी, लेकिन यह अब भी अधूरा है।
पॉलीक्लिनिक परियोजना में भी धन के दुरुपयोग का संकेत मिला - 94 नियोजित क्लीनिकों में से केवल 52 का निर्माण किया गया, जबकि लागत 168 करोड़ रुपये से बढ़कर 220 करोड़ रुपये हो गई। इनमें से कई पॉलीक्लिनिक अब भी बंद पड़े हैं।
वर्मा ने एक बयान में कहा, ‘‘जांच के दौरान नियमों, निविदा शर्तों और वित्तीय प्रोटोकॉल के गंभीर उल्लंघन का पता चला, जिसमें जानबूझकर देरी, परियोजना की लागत में वृद्धि, व्यवहार्य विकल्पों को अस्वीकार करना और निष्क्रिय परिसंपत्तियों का निर्माण शामिल हैं। इस कारण सामूहिक रूप से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।’’
‘आप’ ने उनके नेताओं को बदनाम करने के लिए एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया।
आधिकारिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए ‘आप’ ने बताया कि एसीबी के अपने दस्तावेजों में माना है कि जिन परियोजनाओं पर सवाल उठाए गए हैं, उन्हें 2017-18 में मंजूरी दी गई थी और स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली (एचआईएमएस) की घोषणा 2016-17 में की गई थी जो भारद्वाज के 2023 में पदभार संभालने से कई साल पहले की बात है।
भारद्वाज ने एक बयान में कहा, ‘‘आपराधिक मामलों में प्राथमिकी को मीडिया को जारी करना मानक प्रथा है। उपराज्यपाल और एसीबी जानबूझकर प्राथमिकी को छिपा रहे हैं, क्योंकि अगर वह सामने आ गई तो यह दिख जाएगा कि भाजपा सरकार किस तरह से कानून का मजाक बना रही है।’’
‘आप’ की दिल्ली इकाई के संयोजक भारद्वाज ने कहा कि प्राथमिकी से यह स्पष्ट हो जाएगा कि बिना किसी उचित कारण के केवल दो पूर्व मंत्रियों का नाम लिया गया है जबकि वास्तव में अस्पताल परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार सभी स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को बख्श दिया गया है।
जैन ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि इन परियोजनाओं की मंजूरी में भ्रष्टाचार हुआ है।
भाषा नोमान