सिद्धरमैया ने बानू मुश्ताक को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने पर बधाई दी
सुरभि मनीषा
- 21 May 2025, 11:18 AM
- Updated: 11:18 AM
बेंगलुरु, 21 मई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को बानू मुश्ताक को उनके कन्नड़़ लघु कथा संग्रह के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने पर बधाई दी और कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कन्नड़़ की महानता का झंडा बुलंद किया है।
मुख्यमंत्री ने उनकी इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कन्नड़़ की महानता का झंडा बुलंद किया है।
लेखिका, कार्यकर्ता और वकील मुश्ताक का लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीप’ (हार्ट लैंप) मंगलवार रात लंदन में प्रतिष्ठित 50,000 पाउंड का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला कन्नड़़ लघु कथा संग्रह बन गया।
मुश्ताक ने टेट मॉडर्न में एक समारोह में पुस्तक की अनुवादक दीपा भास्ती के साथ यह पुरस्कार ग्रहण किया। भास्ती ने इस कथा संग्रह का कन्नड़़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया है।
सिद्धरमैया ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘साहित्य के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली गौरवशाली कन्नड़़ लेखिका बानू मुश्ताक को हार्दिक बधाई। यह कन्नड़, कन्नड़ भाषियों और कर्नाटक के जश्न मनाने का समय है।’’
उन्होंने कहा कि इस भूमि के सद्भाव, धर्मनिरपेक्षता और भाईचारे के सच्चे मूल्यों को मूर्त रूप देते हुए लिखने वाली बानू मुश्ताक ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कन्नड़ की महानता का झंडा बुलंद किया है और हम सभी को सम्मान दिलाया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं कामना करता हूं कि वह कई और वर्षों तक सार्थक लेखन करती रहें और कन्नड़ भाषा को दुनिया तक पहुंचाएं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी कन्नड़ लोगों की ओर से मैं प्रतिभाशाली लेखिका दीपा भास्ती को भी बधाई देना चाहूंगा, जिन्होंने मुश्ताक की पुरस्कार विजेता कृति ‘हृदय दीप’ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है।’’
केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भी सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लेखक की प्रशंसा की।
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘यह सभी कन्नड़ लोगों के लिए गर्व का क्षण है। हमारे राज्य की गौरवशाली लेखिका बानू मुश्ताक को हार्दिक बधाई, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।’’
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘इस बुकर पुरस्कार विजेता कृति का अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए लेखिका दीपा भास्ती को भी बधाई। मुझे उम्मीद है कि बानू मुश्ताक ऐसी और बेहतरीन कृतियों की रचना करती रहेंगी। कन्नड़ साहित्य जगत उनके द्वारा समृद्ध हो और कन्नड़ की खुशबू दुनिया भर में फैले।’’
दुनिया भर की छह पुस्तकों में से चुनी गई मुश्ताक की कृति ने पारिवारिक और सामुदायिक तनावों को चित्रित करने की अपनी ‘‘मजाकिया, हाजिरजवाबी, जीवंत, आम बोलचाल की भाषा वाली, मार्मिक और कटु’’ शैली के कारण निर्णायकों को आकर्षित किया।
भाषा सुरभि