पारंपरिक रूप से जोड़कर बनाये गए जहाज को शामिल करेगी नौसेना, यात्रा की तैयारियां जारी
अमित सुरेश
- 20 May 2025, 09:39 PM
- Updated: 09:39 PM
नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) भारतीय नौसेना पारंपरिक रूप से तैयार किये गए एक जहाज को 21 मई को कर्नाटक में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कारवार नौसैनिक अड्डे पर एक समारोह में शामिल करेगी और इसका नामकरण करेगी। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि ‘स्टिच्ड शिप’ (जोड़कर बनाया गया जहाज) पांचवीं शताब्दी के जहाज का पुनर्निर्मित रूप है, जो अजंता की गुफा में स्थित एक चित्रकारी से प्रेरित है।
अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में समारोह की अध्यक्षता करेंगे, जिसके बाद जहाज को औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा।
नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि 'जोड़कर बनाये जाने वाले प्राचीन जहाज' का निर्माण पूरा होना एक पूर्णतः कार्यात्मक समुद्री जहाज का कलात्मक चित्रण है।
उन्होंने कहा, ‘‘जहाज को शामिल किए जाने के बाद, परियोजना अपने दूसरे महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश करेगी। इसमें भारतीय नौसेना पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्गों पर इस पोत को चलाने की महत्वाकांक्षी चुनौती का सामना करेगी। इससे प्राचीन भारतीय समुद्री यात्रा की भावना पुनर्जीवित होगी। गुजरात से ओमान तक पोत की पहली अंतर-महासागरीय यात्रा की तैयारियां पहले से ही जारी हैं।’’
मंत्रालय ने सितंबर 2023 में कहा था कि केंद्र की एक महत्वपूर्ण पहल के तहत भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय और होदी इनोवेशन, गोवा ने जोड़कर बनाये जाने वाले एक प्राचीन जहाज के पुनर्निर्माण के लिए हाथ मिलाये हैं। उसने कहा था कि यह उन जहाजों की याद दिलाता है जो कभी भारत के प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों पर महासागरों में चलते थे।
संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित्त-पोषित इस परियोजना की औपचारिक शुरुआत जुलाई 2023 में तीनों पक्षों के बीच हस्ताक्षरित एक समझौते के माध्यम से की गई थी।
जहाज का ‘कील लेइंग’ समारोह सितंबर 2023 में हुआ था। ‘कील लेइंग’ समारोह जहाज़ के निचले हिस्से की सबसे लंबी, केंद्रीय लकड़ी या प्लेट लगाने को कहते हैं, जो जहाज का वजन सहन करके उसे स्थिरता प्रदान करती है।
अधिकारी ने बताया कि इस जहाज का निर्माण पारंपरिक तरीकों और कच्चे माल का उपयोग करके केरल के कुशल शिल्पकारों द्वारा किया गया था, जिनका नेतृत्व बाबू शंकरन ने किया था। उन्होंने बताया कि बाबू शंकरन ने हज़ारो जोड़ो को हाथों से जोड़कर इस जहाज़ का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि इस जहाज का जलावतरण फरवरी 2025 में गोवा के मेसर्स होदी शिपयार्ड में किया गया था।
भाषा अमित