मणिपुर: कुकी विधायकों ने राज्य में शांति बहाली के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ गुवाहाटी में बैठक की
शुभम अविनाश
- 16 May 2025, 11:54 PM
- Updated: 11:54 PM
गुवाहाटी, 16 मई (भाषा) जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर के कुकी समुदाय ने शुक्रवार को निर्णय लिया कि वह तब तक केंद्र के साथ बातचीत नहीं करेगा, जब तक कि केंद्र सरकार उनके समाज के विभिन्न हितधारकों के साथ "ठोस राजनीतिक संवाद" शुरू नहीं करती।
मणिपुर के कई कुकी विधायकों ने विभिन्न नागरिक संस्थाओं और कुकी उग्रवादी समूहों के प्रतिनिधियों के साथ शुक्रवार को यहां बंद कमरे में बैठक की और जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने के साथ अपनी भविष्य की रणनीति पर चर्चा की।
बैठक के संयोजक सचिव द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "गुवाहाटी में आज विधायकों, नागरिक समाज संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ता समूहों की संयुक्त बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जब तक भारत सरकार सामाजिक कार्यकर्ता समूहों के साथ ठोस राजनीतिक वार्ता पुनः आरंभ नहीं करती, नागरिक समाज संगठन और निर्वाचित प्रतिनिधि भारत सरकार या उसके प्रतिनिधियों के साथ कोई संवाद नहीं करेंगे।"
एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि समुदाय के सदस्य बुधवार और बृहस्पतिवार को असम की राजधानी पहुंचे और एक होटल में ठहरे जहां बैठक हुई। होटल के नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
माना जा रहा है कि उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग के समर्थन में केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष कैसे रखा जाए।
एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य में धीरे-धीरे शांति लौट रही है। अगला कदम मणिपुर में स्थायी शांति स्थापित करना है। इसलिए, सभी हितधारकों ने अब भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा शुरू कर दी है।’’
असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बैठक की पुष्टि की, लेकिन कहा कि यह प्रशासन को सूचित किए बिना हो रही है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें कल शाम बैठक के बारे में पता चला, लेकिन उन्होंने हमें सूचित नहीं किया। हमारी जानकारी के अनुसार, लगभग 15 लोग अपने आंतरिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।’’
केंद्र ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।
मणिपुर की आबादी में मेइती की हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी-- नगा और कुकी-- 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं।
भाषा
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