मीरवाइज फारूक ने भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी संघर्षविराम की अपील की
राजकुमार माधव
- 16 May 2025, 06:21 PM
- Updated: 06:21 PM
(तस्वीरों के साथ)
श्रीनगर, 16 मई (भाषा) हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने शुक्रवार को भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर स्थायी संघर्षविराम की अपील करते हुए कहा कि सैन्य आक्रामकता से केवल विनाश होता है, शांति नहीं।
यहां नौहट्टा इलाके में जामिया मस्जिद में शुक्रवार के जुम्मे की नमाज कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर एक ‘बिल्कुल ऐसा विस्फोटक बिंदु’ है जो ‘किसी भी समय विस्फोट कर सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिनों में हम एक और भयावह अनुभव से गुजरे हैं, जिसमें विकराल संघर्ष भड़क गया और यह दो परमाणु संपन्न देशों के बीच पूर्ण युद्ध से महज कुछ दूर था। यहां तक कि ‘बात थोड़ी भी बिगड़ जाना’ भी जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के आसपास और पार रहने वाले लोगों की जिंदगी बर्बाद करने के लिए पर्याप्त था।’’
मीरवाइज उमर फारूक ने सवाल किया, ‘‘ हम कब तक इस स्थिति को झेलते रहेंगे तथा भय और अनिश्चितता में जीते रहेंगे? हर कोई कश्मीर के बारे में बात कर रहा है, लेकिन कोई भी कश्मीर, उसके लोगों से, जो यहां रहते हैं--से बात नहीं कर रहा है। हम अपने लिए क्या चाहते हैं, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे सपने, शांति के लिए हमारी तड़प? क्या हमारे घाव कभी भरेंगे? क्या इस संघर्ष का कभी समाधान होगा?’’
हुर्रियत अध्यक्ष ने कहा कि ऐसी हर घटना के साथ समस्या और भी मुश्किल होती जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हम जानते हैं और अभी-अभी देखा है, सैन्य अस्थिरता से केवल विनाश ही होता है और हथियारों की बिक्री बढ़ती है - शांति कभी नहीं आती । लेकिन कश्मीर के लोग आश्चर्य करते हैं कि क्या भारत और पाकिस्तान शांति चाहते हैं या एक-दूसरे पर हावी होना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग शांति चाहते हैं, युद्ध नहीं।
मीरवाइज उमर फारूक ने कहा, ‘‘हम समाधान चाहते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि संघर्ष जारी रहे।’’
उन्होंने कहा कि हमारी दिली तमन्ना है कि दोनों पक्षों के डीजीएमओ द्वारा 18 मई तक घोषित संघर्ष विराम स्थायी हो।
हालांकि, उन्होंने सवाल किया कि अगर दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) बातचीत कर सकते हैं और किसी समझौते पर पहुंच सकते हैं, तो ‘भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को ऐसा करने से कौन रोक रहा है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन स्पष्ट बात कहना वर्तमान समय में राष्ट्र-विरोधी माना जाता है।
मीरवाइज ने उन सभी परिवारों के प्रति संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की जिन्होंने ‘संघर्ष के निरर्थक विस्तार’ के कारण अपने प्रियजनों को खो दिया।
भाषा राजकुमार