राष्ट्रपति की ओर से संदर्भ पत्र भेजे जाने के मुद्दे पर दूसरे राज्यों की राय लेगा तमिलनाडु: स्टालिन
जोहेब नरेश
- 16 May 2025, 01:55 PM
- Updated: 01:55 PM
उद्गमंडलम (तमिलनाडु), 16 मई (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि उनका राज्य राष्ट्रपति द्रौपदी द्वारा उच्चतम न्यायालय को भेजे गए संदर्भ पत्र के मुद्दे पर दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं से बात करेगा।
इस पत्र में राष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय से जानना चाहा है कि क्या राज्य विधानसभाओं की ओर से पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति के विचार के लिए न्यायिक आदेश के जरिये समय-सीमा निर्धारित की जा सकती है।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, “हम दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं की राय लेंगे और उसके आधार पर आगे कोई कदम उठाया जाएगा।”
राष्ट्रपति मुर्मू ने दुर्लभ स्थितियों में इस्तेमाल किए जाने वाले अनुच्छेद 143(1) के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए उच्चतम न्यायालय से पूछा है कि क्या राज्य विधानसभाओं की ओर से पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति के विचार के लिए न्यायिक आदेश के जरिये समय-सीमा निर्धारित की जा सकती है?
संविधान का अनुच्छेद 143(1) उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने से जुड़ी राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है। इस शक्ति का इस्तेमाल राष्ट्रपति तब करते हैं जब उन्हें यह प्रतीत होता है कि किसी कानून या किसी तथ्य को लेकर कोई सवाल खड़ा हुआ है या इसकी आशंका है।
राष्ट्रपति को जब यह लगता है कि कोई सवाल सार्वजनिक महत्व से जुड़ा है और यदि इस पर उच्चतम न्यायालय की राय प्राप्त करना ठीक रहेगा, तो वह उच्चतम न्यायालय से सवाल कर सकते हैं। न्यायालय सुनवाई के बाद अपनी उचित राय से राष्ट्रपति को सूचित कर सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देने की राज्यपाल की शक्तियों के मामले में आठ अप्रैल को एक फैसला सुनाया था, जिसके आलोक में राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया है।
स्टालिन ने राष्ट्रपति के संदर्भ पत्र का इस्तेमाल करने के लिए बृहस्पतिवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि इससे केंद्र सरकार की "कुटिल मंशा" उजागर होती है।
भाषा जोहेब