ब्रिटिश भारतीय थिंक टैंक ने मनमोहन सिंह स्मृति व्याख्यान की शुरुआत की
नोमान सुरभि
- 15 May 2025, 10:54 PM
- Updated: 10:54 PM
(अदिति खन्ना)
लंदन, 15 मई (भाषा) ब्रिटिश भारतीय शोध एवं जनसंपर्क को समर्पित एक थिंक टैंक ने लंदन के संसद भवन परिसर में मनमोहन सिंह स्मृति व्याख्यान श्रृंखला की शुरुआत की, जिसका उद्घाटन भाषण इस सप्ताह अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने दिया।
‘द 1928 इंस्टीट्यूट’ इंडिया ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (एपीपीजी) का सचिवालय भी है। इसने अहलूवालिया को 2004 से 2014 के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में एक करीबी सहयोगी और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष के रूप में अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया।
वेल्श से भारतीय मूल के सांसद कनिष्क नारायण ने मंगलवार शाम को इस व्याख्यान को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह ऐसे समय में किया गया है जब हाल में संपन्न मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता के बाद भारत-ब्रिटेन संबंध उच्च स्तर पर हैं।
अहलूवालिया ने कहा, ‘‘भारत-ब्रिटेन एफटीए एक अच्छा संकेत है। मैंने इसका ब्यौरा नहीं देखा है और जब तक सब कुछ पूरी तरह सामने नहीं आ जाता, हमें इसका पता नहीं चलेगा, लेकिन यह किसी प्रमुख देश के साथ पहला गहन एफटीए है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम यूरोपीय संघ के साथ भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं और अमेरिका के साथ द्विपक्षीय चर्चा चल रही है। लेकिन यह सब अनिश्चित है। हम वास्तव में नहीं जानते कि यह कितनी जल्दी हल हो जाएगा।’’
मनमोहन सिंह सरकार में सलाहकार के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए विश्व बैंक के पूर्व अधिकारी ने पूर्व प्रधानमंत्री को एक ‘‘सर्वोत्कृष्ट विद्वान’’ बताया, जिन्होंने लोगों को यह समझाने के लिए हर संभव प्रयास किया कि कुछ खास कार्य क्यों आवश्यक थे।
उन्होंने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह को असली श्रद्धांजलि यही है कि उनके बाद की सरकारों ने भी ज्यादातर उसी रास्ते पर चलना जारी रखा और तेज तथा अचानक आर्थिक बदलाव नहीं, बल्कि स्पष्ट दिशा में धीरे-धीरे सुधार करना जारी रखा।
अहलूवालिया ने कहा, ‘‘आज, भारत की अर्थव्यवस्था ने ऐसी गति विकसित कर ली है जो इसे 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था में बदल सकती है। इसका मतलब यह है कि विकास दर 6.5 से बढ़कर लगभग आठ प्रतिशत होनी चाहिए। भारत इस समय अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, इस मायने में कि 6.5 प्रतिशत अब भी इसे सबसे तेजी से बढ़ने वाला व उभरता हुआ बाजार बनाता है।’’
भाषा नोमान