मुख्यमंत्री साय ने किया छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी संग्रहालय का लोकार्पण
संजीव सुरभि
- 14 May 2025, 11:08 PM
- Updated: 11:08 PM
रायपुर, 14 मई (भाषा) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुधवार को राज्य के पहले आदिवासी संग्रहालय का लोकार्पण किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और उनकी जीवनशैली को आमजन तक पहुंचाने के लिए नवा रायपुर अटल नगर में करीब 10 एकड़ क्षेत्र में आदिवासी संग्रहालय बनाया गया है, जिसका लोकार्पण आज मुख्यमंत्री साय ने किया। यह राज्य का पहला आदिवासी संग्रहालय है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री साय ने इस दौरान सबसे पहले आदिवासी परम्परा के अनुरूप मुख्य द्वार पर द्वार पूजा और श्रीफल तोड़कर नवनिर्मित संग्रहालय में प्रवेश किया। साथ ही उन्होंने प्रवेश गैलेरी में पंचतत्व के साथ प्रकृति शक्ति की पूजा करते हुए मंगल कामना की।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा, ‘‘अटल जी (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी) ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ को पृथक राज्य बनाया। अटल जी के कार्यकाल में ही जनजाति विकास के लिए केन्द्र सरकार में मंत्रालय का गठन हुआ। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए ‘धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान’ और विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के लिए ‘पीएम जनमन योजना’ लागू किया है।’’
साय ने कहा, ‘‘हमारे छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष पहचान हमारी सुंदर जनजातीय संस्कृति से है। छत्तीसगढ़ में जनजातीय संस्कृति में विविधता है और हर जनजातीय समुदाय की अपनी विशिष्ट पहचान है। प्रदेश में 43 जनजातीय समुदाय हैं और इनकी कई उपजातियां हैं। इसके साथ ही हमारे राज्य में विशेष पिछड़ी जनजातियां भी हैं। जनजातीय समुदाय का सुंदर संसार, इनका खानपान, पहनावा, संगीत, लोककला, वाद्ययंत्र, नृत्य इन सबकी झलक संग्रहालय में दिखेगी। इसमें 14 दीर्घाएं हैं और हर दीर्घा एक विशेष थीम पर बनाई गई है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह संग्रहालय न केवल आदिवासी समाज की परंपराओं, कला और संस्कृति को संरक्षित करेगा, बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाएगा। संग्रहालय में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जनजातीय समुदायों की जीवनशैली, वेशभूषा, लोककला, रीति-रिवाज और धार्मिक मान्यताओं को दृश्य और डिजिटल माध्यमों से दर्शाया गया है।’’
उन्होंने बताया कि संग्रहालय में सांस्कृतिक विरासत के अंतर्गत अबुझमाड़िया में गोटुल, भुंजिया जनजाति में लाल बंगला इत्यादि, परम्परागत कला कौशल जैसे बांसकला, काष्ठकला, चित्रकारी, गोदनाकला, शिल्पकला आदि का तथा विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह - अबूझमाड़िया, बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर और राज्य शासन द्वारा मान्य भुंजिया तथा पण्डो के विशेषीकृत पहलुओं का प्रदर्शन किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि संग्रहालय में डिजिटल और एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) तकनीक के माध्यम से जनजातीय संस्कृति का भी प्रदर्शन किया गया है।
भाषा संजीव