चंद्रकांत पाटिल ने राकांपा गुटों के संभावित विलय की चर्चाओं को अटकलबाजी करार दिया
खारी पारुल
- 14 May 2025, 05:36 PM
- Updated: 05:36 PM
मुंबई/नागपुर, 14 मई (भाषा) महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले गुटों के संभावित विलय की अटकलों को खारिज करते हुए बुधवार को कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।
वहीं, राकांपा (शरदचंद्र पवार) के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने भी इन अटकलों का खंडन करते हुए कहा कि उनकी पार्टी में ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है।
शरद पवार ने कथित तौर पर कहा था कि विलय के बारे में फैसला राकांपा (एसपी) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और अजित पवार को करना है, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री (अजित पवार) के नेतृत्व वाली राकांपा और शरद पवार नीत राकांपा (एसपी) के फिर से एक होने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया।
पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘विलय की अफवाहें कभी भी सच साबित नहीं हुईं। ये हमेशा अटकलें ही रहीं। ये केवल चर्चाएं हैं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि अविभाजित राकांपा तीन लोगों-शरद पवार, उनकी बेटी सुले और भतीजे अजित पवार के दबदबे वाली पार्टी थी।
पाटिल ने कहा, ‘‘तब भी, राकांपा (एसपी) के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और पार्टी विधायक रोहित पवार (शरद पवार के पोते) को दूर रखा जाता था। वे केवल घटनाक्रम पर दूर से नजर रखते थे, जबकि ये तीनों (शरद पवार, सुप्रिया सुले और अजित पवार) फैसले ले रहे थे।’’
इस बीच, नागपुर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए देशमुख ने कहा, ‘‘संभावित विलय के बारे में अटकलें सिर्फ मीडिया में हैं। राकांपा (एसपी) में कोई बैठक या चर्चा नहीं हुई है।’’
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री देशमुख ने नागपुर जिले में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में हुई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि हजारों शिक्षकों ने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिये नौकरी हासिल की।
देशमुख ने कहा कि यह घोटाला नागपुर जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र में व्यापक पैमाने पर हो सकता है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह घोटाला मध्यप्रदेश के चर्चित व्यापमं घोटाले से भी बड़ा है।’’
जुलाई 2023 में अजित पवार राकांपा के कई विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे शरद पवार द्वारा 1999 में स्थापित पार्टी दो गुटों में बंट गई थी।
भाषा खारी