सट्टेबाजी मामले में पुलिस नोटिस के खिलाफ ‘फोनपे’ की याचिका अदालत ने खारिज की
प्रशांत माधव
- 14 May 2025, 05:08 PM
- Updated: 05:08 PM
बेंगलुरु, 14 मई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने डिजिटल भुगतान मंच ‘फोनपे’ द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक कथित ऑनलाइन खेल सट्टेबाजी मामले के संबंध में उपयोगकर्ता की जानकारी मांगने वाले पुलिस नोटिस को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने कहा कि कंपनी वैध आपराधिक जांच के खिलाफ ढाल के रूप में उपयोगकर्ता की गोपनीयता का उपयोग नहीं कर सकती।
हाल ही में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि डिजिटल युग में अपराध की प्रकृति बदल गई है और साइबर अपराधों के लिए त्वरित और लक्षित जांच दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यद्यपि उपभोक्ता की गोपनीयता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह वैध पूछताछ की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
न्यायमूर्ति ने कहा, “आज, पारंपरिक अपराध कम हो गए हैं, और नए युग के अपराध बड़ी संख्या में सामने आए हैं। ये नए युग के अपराध साइबर अपराध हैं - गुप्त आधुनिक अपराध। ऐसे अपराधों के लिए त्वरित, लक्षित और प्रभावी प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।”
उन्होंने कहा, “जैसा कि याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है, गोपनीयता को बनाए रखा जाना चाहिए, लेकिन इसे वैध जांच के खिलाफ ढाल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।”
उच्च न्यायालय ने गोपनीयता और जवाबदेही के बीच संतुलन के महत्व को भी रेखांकित किया।
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, “उपभोक्ता गोपनीयता की सुरक्षा जांच अधिकारियों के साक्ष्य सुरक्षित करने और जांच को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के वैधानिक दायित्व को कम नहीं कर सकती। गोपनीयता को जवाबदेही के साथ सह-अस्तित्व में रहना चाहिए।”
यह मामला 2022 में एक व्यक्ति की शिकायत से उपजा है, जिसने दावा किया था कि उसने भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट मैचों के दौरान फोनपे के माध्यम से एक खेल सट्टेबाजी वेबसाइट में लगभग 6,000 रुपये जमा किए थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि बाद में वे अपना पैसा नहीं निकाल पाए और वेबसाइट पर पहुंचना भी असंभव हो गया।
उन्होंने प्लेटफॉर्म पर “धोखाधड़ी” का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत के बाद, पुलिस ने दिसंबर 2022 में तत्कालीन दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 91 के तहत फोनपे को नोटिस जारी किया।
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