मांग कमजोर होने से सरसों तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) में गिरावट
राजेश राजेश पाण्डेय
- 03 May 2025, 08:44 PM
- Updated: 08:44 PM
नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) देश के तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन और कच्चा पामतेल (सीपीओ) के दाम में गिरावट देखने को मिली जबकि सोयाबीन तेल संयंत्रों की हल्की मांग और कमजोर आवक के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार आया। कमजोर आवक और सुस्त कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल और पामोलीन तेल के भाव अपरिवर्तित बने रहे।
कल रात शिकागो एक्सचेंज गिरावट के साथ बंद हुआ था।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल की मांग कमजोर होने से सरसों तेल-तिलहन में गिरावट आई। आम तौर पर अप्रैल-मई के महीने में भरपूर आवक होती थी लेकिन इस बार आवक कम रहना एक पहेली बना हुआ है। किसान कमजोर दाम पर बेचने से बच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कच्चे पामतेल (सीपीओ) का दाम पहले के उच्च स्तर से कम तो हुआ है और यह भाव सोयाबीन के आसपास मंडराने लगा है। सीपीओ से पामोलीन बनाने की प्रसंस्करण लागत के कारण इस तेल का भाव लगभग सोयाबीन के पास ही बैठता है। यह भाव सोयाबीन से 7-8 रुपये कम होगा तभी इसके असानी से खपने की राह बनेगी। ऐसी स्थिति में सीपीओ के दाम में भी गिरावट रही।
सूत्रों ने कहा कि वैसे फिलहाल बाजार में सभी खाद्यतेलों की कमजोर मांग है। तेल-तिलहनों का स्पष्ट रुख सोमवार के कामकाज से तय होगा।
सूत्रों ने कहा कि अगले 15 दिन से महीने भर के अंदर सोयाबीन की बिजाई शुरु होगी और फिलहाल सोयाबीन की न्यूनम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम हाजिर दाम पर सरकारी बिकवाली जारी है। यह सोयाबीन किसानों को कोई अच्छा संकेत नहीं दे रहा। सोयाबीन किसानों को अपनी लागत निकालने में मुश्किल हो रही है और वह अपनी आवक घटा रहे हैं। इस कमजोर आवक के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम में मामूली सुधार आया।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति में, पहले की गई नेफेड के सोयाबीन खरीद की पहल का कोई फायदा किसानों को होता नहीं दीखता। नेफेड ने किसानों की ऊपज का कुछ ही हिस्सा खरीदा होगा और ऐन बिजाई के समय अगर उसे सस्ते में बेच रही है तो यह देखना होगा कि किसानों के पास बचे हुए सोयाबीन को क्या दाम मिलेंगे। सरकार को इन विसंगतियों को ध्यान में रखना होगा।
शुक्रवार को शिकागो एक्सचेंज में गिरावट रहने के बाद साधारण कामकाज के बीच सोयाबीन तेल के दाम आज स्थिर बने रहे। नेफेड की एमएसपी से सस्ते हाजिर दाम पर मूंगफली की बिकवाली होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम भी अपरिवर्तित रहे। पामोलीन का दाम सोयाबीन तेल के आसपास रहने से इसकी कोई खास मांग नहीं है। इसकी मांग निकलने के लिए जरूरी है कि इसका दाम सोयाबीन तेल से पर्याप्त रूप से यानी कम से कम 7-8 रुपये किलो कम हो, तभी इस खाद्यतेल की खपत बढ़ेगी। इस स्थिति में पामोलीन तेल के दाम भी अपरिवर्तित रहे।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,275-6,375 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,625-6,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 13,900 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,360-2,460 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,360-2,485 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,475-4,525 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,175-4,225 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश