न्यायालय ने पाक भेजे जाने वाले याचिकाकर्ता परिवार को राहत दी, दस्तावेजों के सत्यापन का निर्देश दिया
शफीक माधव
- 02 May 2025, 05:18 PM
- Updated: 05:18 PM
नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को प्राधिकारियों से कहा कि वे कथित तौर पर वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी यहां रह रहे एक परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तान वापस भेजने जैसी कोई दंडात्मक कार्रवाई तब तक न करें जब तक उनकी नागरिकता के दावों का सत्यापन नहीं हो जाता।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने बिना कोई विशेष समयसीमा तय किए अधिकारियों से कहा कि वे परिवार के पहचान दस्तावेजों जैसे पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि तथा उनके संज्ञान में लाए गए अन्य प्रासंगिक तथ्यों का सत्यापन करें।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, उचित निर्णय लिए जाने तक प्राधिकारी कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करें। यदि याचिकाकर्ता अंतिम निर्णय से असंतुष्ट हैं, तो वे जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इस आदेश को मिसाल नहीं माना जाएगा।’’
इस परिवार के सदस्य कश्मीर में रहते हैं और उनका बेटा बेंगलुरु में काम करता है। पहलगाम में आतंकवादी हमले के मद्देनजर उन्हें पाकिस्तान भेजा जा सकता है। पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी।
पीठ ने कहा कि यह मामला मानवीय पहलू से जुड़ा है। उसने परिवार को यह छूट दी कि दस्तावेज सत्यापन के आदेश से असंतुष्ट होने पर वह जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
परिवार की ओर से पेश हुए वकील नंद किशोर ने दावा किया कि उनके पास वैध पासपोर्ट और आधार कार्ड हैं।
पीठ ने प्राधिकारियों को सभी दस्तावेजों का सत्यापन करने का निर्देश देते हुए कहा कि इस पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाए, हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, ‘‘इनके पिता भारत कैसे आए? आपने कहा है कि वह पाकिस्तान में थे।’’
नंद किशोर ने कहा कि वह 1987 में वैध वीजा पर भारत आए थे और सीमा पर पाकिस्तानी पासपोर्ट जमा करा दिया था।
ऑनलाइन माध्यम से पेश हुए परिवार के एक सदस्य ने दावा किया कि उनके पिता मुजफ्फराबाद से भारत आए थे।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह उचित होगा कि याचिकाकर्ता पहले संबंधित प्राधिकारियों से संपर्क करें ताकि उनके दावों का सत्यापन हो सके।
मेहता ने पीठ से कहा कि दस्तावेजों पर निर्णय आने तक याचिकाकर्ता परिवार के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
न्यायालय अहमद तारिक बट और उनके परिवार के पांच अन्य सदस्यों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। परिवार ने दावा किया है कि उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें हिरासत में लिया गया और पाकिस्तान भेजने के लिए वाघा सीमा पर ले जाया गया।
पीठ ने इस बात पर गौर किया कि पहलगाम हमले के बाद केंद्र ने 25 अप्रैल की अधिसूचना में आदेश में उल्लेखित लोगों को छोड़कर शेष पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद्द कर दिया है तथा उन्हें वापस भेजने के लिए एक विशिष्ट समयसीमा भी दी है।
भाषा
शफीक