जातिगत गणना के लिए पर्याप्त धन आवंटित करके समय सीमा तय करे केंद्र: खरगे
जोहेब सुरेश
- 01 May 2025, 08:00 PM
- Updated: 08:00 PM
बेंगलुरु, एक मई (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित अगली जनगणना में जातिगत गणना के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित करने और समय सीमा तय करने का बृहस्पतिवार को सरकार से आग्रह किया।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जातिगत गणना की मांग की थी और इसके लिए पूरे देश में आंदोलन किया था तथा अब वे खुश हैं कि उन्होंने जो चाहा था वह हासिल कर लिया है।
खरगे ने कहा, ‘‘मैंने दो साल पहले जनगणना के साथ जातिगत गणना कराने को लेकर एक पत्र लिखा था, पर तब वे सहमत नहीं हुए, लेकिन अब सरकार ने जनगणना के साथ जातिगत गणना कराने का निर्णय लिया है। यह अच्छी बात है और हम पूरा सहयोग करेंगे, लेकिन उन्हें (भाजपा) जवाहरलाल नेहरू पर अनावश्यक रूप से टिप्पणी नहीं करनी चाहिए कि वह (नेहरू) इसके विरोध में थे... आदि-आदि।’’
यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जन्म से ही आरक्षण के खिलाफ हैं और ऐसे लोग कांग्रेस पर जाति जनगणना के पक्ष में नहीं होने की बात कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘अगर हम जातिगत गणना के खिलाफ होते तो क्या मैंने दो साल पहले पत्र लिखा होता या फिर हम इसके लिए कई आंदोलन किए होते? वे (भाजपा) लोगों के मन में भ्रम पैदा करने की कोशिश करते हैं और यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि केवल वे ही देश का कल्याण चाहते हैं। राजनीतिक उद्देश्यों के लिए वे हमेशा ऐसी चीजें करते हैं...।’’
केंद्र सरकार ने बुधवार को एक अहम फैसला लेते हुए आगामी जनगणना में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल करने का फैसला किया।
खरगे ने सरकार से घोषणा पर अमल करने का आग्रह करते हुए कहा कि आज तक सरकार ने इसके लिए पर्याप्त धन आवंटित नहीं किया है। उन्होंने प्रश्न किया कि बिना धन के सर्वेक्षण कैसे किया जा सकता है?
खरगे ने कहा, ‘‘उन्हें (सरकार को) समय-सीमा भी बतानी चाहिए। अगर समय-सीमा नहीं होगी, तो इसमें बहुत समय लगेगा। इसलिए मेरा सुझाव है कि उन्हें इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए और दो-तीन महीने या निर्धारित समय-सीमा के भीतर सर्वेक्षण करवाना चाहिए तथा वादा पूरा करना चाहिए।’’
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जातिगत गणना की घोषणा आगामी बिहार चुनावों को ध्यान में रखकर की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राजनीति में नहीं जाना चाहता। जो भी अच्छा है मैं उसका स्वागत करता हूं और जो भी बुरा है मैं उसका विरोध करता हूं, क्योंकि आखिरकार देश महत्वपूर्ण है, लोग महत्वपूर्ण हैं। चूंकि लोग जातिगत गणना चाहते थे, हमने इसकी मांग को लेकर आंदोलन किया... सभी विपक्षी दलों ने इसके लिए दबाव डाला और आंदोलन किया तथा राहुल गांधी इसमें आगे रहे। हमने यह हासिल कर लिया है और हम खुश हैं।’’
आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के निर्णय का स्वागत करते हुए उन्होंने यह भी कहा, “इसे जल्द ही किया जाना चाहिए, यह दिखावा नहीं होना चाहिए और आर्थिक व शैक्षिक सर्वेक्षण सभी को संतुष्ट करते हुए सही तरीके से किया जाना चाहिए।”
कर्नाटक समेत कुछ राज्यों द्वारा किए गए जाति आधारित सर्वेक्षणों की आलोचना किए जाने पर खरगे ने कहा, “देखते हैं, अब वे (केंद्र) इसे कर रहे हैं।”
बाद में, यहां बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) द्वारा आयोजित मई दिवस समारोह में खरगे ने एक बार फिर कहा कि सर्वेक्षण के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “कर्नाटक में सामाजिक व शैक्षणिक सर्वेक्षण (जातिगत गणना) के लिए सरकार ने 165 करोड़ रुपये दिए, जबकि केंद्र ने देशव्यापी जनगणना के लिए 515 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह कैसे संभव है? वे (केंद्र) इस राशि से उत्तर जैसे राज्य का सर्वेक्षण नहीं कर पाएंगे। यह सिर्फ दिखावा लगता है और ऐसा लगता है कि वे सर्वेक्षण के प्रति गंभीर नहीं हैं।”
खरगे ने कहा कि सितंबर 2010 में सामाजिक-आर्थिक जाति सर्वेक्षण किया गया था, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और वह (खरगे) समाज कल्याण मंत्री थे।
उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण 2016 में संपन्न हुआ था, लेकिन तब तक भाजपा की सरकार बन चुकी थी, जिसने रिपोर्ट जारी नहीं की।
उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि अब जातिगत गणना की घोषणा की गई है, लेकिन दो और चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए, एक निजी संस्थानों में एससी/एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण प्रदान करना और दूसरा आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना।
उन्होंने कहा, “सरकार को इन दोनों बातों के बारे में भी सोचना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग सड़कों पर उतरेंगे और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।”
भाषा
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