तेलंगाना राहुल गांधी के दृष्टिकोण के आधार पर जाति सर्वेक्षण कराने वाला पहला राज्य: रेवंत रेड्डी
आशीष धीरज
- 30 Apr 2025, 08:51 PM
- Updated: 08:51 PM
हैदराबाद/बागलकोट (कर्नाटक), 30 अप्रैल (भाषा) तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने बुधवार को कहा कि तेलंगाना कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर जाति सर्वेक्षण कराने वाला पहला राज्य है।
आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के केंद्र के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए रेड्डी ने कहा कि पिछले साल राज्य में कराया गया जाति सर्वेक्षण स्वतंत्र भारत में पहला था। इस तरह का आखिरी सर्वेक्षण 1931 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था।
रेड्डी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह गर्व का क्षण है कि कांग्रेस के विपक्ष में होने के बावजूद राहुल गांधी का दृष्टिकोण नीति बन गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें गर्व है कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सशक्तिकरण के लिए तेलंगाना सरकार के कार्यों ने देश को प्रेरित किया और भारत अब हमारे राज्य द्वारा प्रस्तुत उदाहरण का अनुसरण करने के लिए सहमत हो गया है।’’
रेड्डी ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार ने इस कहावत को सच साबित कर दिया कि ‘तेलंगाना आज जो करता है, कल पूरा भारत उसका अनुसरण करता है।’
अगली राष्ट्रीय जनगणना के तहत जातिगत गणना कराने के केंद्र सरकार के फैसले पर बधाई देते हुए उन्होंने इस कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिमंडल को धन्यवाद दिया।
रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना में किये गए व्यापक राज्यव्यापी सामाजिक, आर्थिक और जाति सर्वेक्षण से पता चला है कि 56.32 प्रतिशत आबादी पिछड़ी जातियों की है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि राष्ट्रीय जनगणना के तहत जाति गणना की ‘‘तत्काल आवश्यकता’’ है और यह कई समूहों की लंबे समय से लंबित मांग रही है।
उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि मुसलमानों के बीच विभिन्न जाति, समूह समेत ‘‘मुसलमानों के पिछड़ेपन पर समुचित आंकड़ें’’ होने चाहिए।
ओवैसी ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘एनएसएसओ (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय) और अन्य आंकड़ें स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं कि मुसलमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं। भाजपा ने दलित मुसलमानों के लिए एससी दर्जे का विरोध किया है; इसने पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण का भी विरोध किया है।’’
एआईएमआईएम नेता ने कहा कि जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के केंद्र के फैसले के बाद, यह भाजपा पर निर्भर है कि वह ‘‘बौद्धिक रूप से ईमानदार’’ बने।
उन्होंने कहा कि आंकड़ों को पारदर्शी तरीके से एकत्र किया जाना चाहिए और सार्वजनिक किया जाना चाहिए। ओवैसी ने तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण के लिए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को भी धन्यवाद दिया।
वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि केंद्र को सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराना चाहिए, क्योंकि अकेले जातिगत गणना पर्याप्त नहीं होगी।
कर्नाटक ने राज्य की 94 प्रतिशत आबादी को कवर करते हुए एक ‘सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण’ किया। 2015 से नौ साल तक चली इस कवायद के बाद, तत्कालीन पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जयप्रकाश हेगड़े ने फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी।
जातिगत गणना रिपोर्ट पर आंतरिक मतभेदों के बीच, इस पर चर्चा के लिए 17 अप्रैल को कर्नाटक मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया।
सिद्धरमैया ने कर्नाटक के बागलकोट में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने (कांग्रेस) अपने घोषणापत्र में कहा था कि सामाजिक-आर्थिक और जातिगत गणना कराई जानी चाहिए। मुझे नहीं पता कि वे सिर्फ जातिगत गणना कराएंगे या सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी कराएंगे। मैं इसे (केंद्र के फैसले को) देखने के बाद प्रतिक्रिया दूंगा।’’
सिद्धरमैया ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण आवश्यक है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (केंद्र ने) कहा है कि वे जनगणना और जातिगत गणना कराएंगे। सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। अगर हमें सामाजिक न्याय करना है, तो सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करना होगा।’’
भाषा आशीष