केंद्र और आरबीआई को दिव्यांगों के लिए डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया सुलभ बनाने का आदेश
देवेंद्र माधव
- 30 Apr 2025, 08:36 PM
- Updated: 08:36 PM
नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और अन्य को निर्देश दिया कि वे डिजिटल केवाईसी की प्रक्रिया को दिव्यांगों, विशेषकर चेहरे की विकृति और दृष्टिबाधित लोगों के लिए सुलभ बनाएं।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाने के लिए केंद्र और विभिन्न सार्वजनिक संस्थाओं को ऐसे 20 निर्देश जारी किए।
उच्चतम न्यायालय ने हितधारकों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि मंत्रालयों को सभी नियामक संस्थाओं चाहे वे सरकारी हों या निजी को समय-समय पर निर्धारित सुगम्यता मानकों का पालन करने का निर्देश देना चाहिए।
इसने कहा, ‘‘प्रतिवादी प्रत्येक विभाग में डिजिटल सुलभता अनुपालन के लिए जिम्मेदार एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करेंगे।’’
पीठ ने कहा कि सभी संस्थाओं को अनिवार्य रूप से प्रमाणित सुगम्यता पेशेवरों द्वारा समय-समय पर सुगम्यता ऑडिट कराना होगा और किसी भी ऐप या वेबसाइट को डिजाइन करते समय या किसी भी नयी सुविधा को शुरू करते समय उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण चरण में दृष्टिबाधित व्यक्तियों को शामिल करना होगा।
शीर्ष अदालत ने आरबीआई को निर्देश दिया कि वह सभी संस्थाओं को दिशा-निर्देश जारी करे, ताकि डिजिटल केवाईसी या ई-केवाईसी के लिए ग्राहकों की ‘‘लाइव फोटोग्राफ’’ लेने के लिए ‘‘आंख झपकाने’’ के अलावा वैकल्पिक तरीकों को अपनाया और शामिल किया जा सके, ताकि समावेशिता और उपयोगकर्ता की सुविधा सुनिश्चित हो सके।
पीठ ने कहा, "प्रतिवादी प्राधिकारियों को अपने केवाईसी टेम्पलेट या ग्राहक अधिग्रहण फॉर्म को इस तरह से तैयार करना चाहिए कि ग्राहक की दिव्यांगता का प्रकार और प्रतिशत दर्ज हो और उसे खाता रिकॉर्ड के हिस्से के रूप में उचित रूप से दर्ज किया जाए, ताकि उन्हें सुलभ सेवाएं या उचित सुविधाएं प्रदान की जा सकें।"
अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे सभी विनियमित संस्थाओं को डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया के दौरान अंगूठे के निशान की छवि स्वीकार करने के लिए स्पष्ट निर्देश दें।
पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पांच दिसंबर, 2023 की अपनी अधिसूचना में आवश्यक संशोधन करने का निर्देश दिया, ताकि ग्राहकों के सत्यापन के लिए कागज आधारित केवाईसी प्रक्रिया जारी रहे, जिससे याचिकाकर्ताओं और इसी तरह के अन्य व्यक्तियों को केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक सुलभ विकल्प मिल सके।
इसने कहा, ‘‘प्रतिवादी प्राधिकारी दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित लोगों के लिए सांकेतिक भाषा और ऑडियो विवरण के विकल्प उपलब्ध कराएंगे।’’
इसके अलावा उन्हें सरकारी अधिसूचनाओं के प्रसार और सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के लिए वैकल्पिक मीडिया जैसे ब्रेल, आसानी से पढ़े जाने वाले प्रारूप, ध्वनि-सक्षम सेवाओं को भी शामिल करने का आदेश दिया गया, ताकि सभी के लिए पहुंच सुनिश्चित हो सके।
प्राधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए कि ई-गवर्नेंस मंच और डिजिटल भुगतान प्रणाली समेत ऑनलाइन सेवाएं दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हों।
इसने कहा, ‘‘आरबीआई सभी विनियमित संस्थाओं द्वारा अपने द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/अधिसूचनाओं/निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करेगा, जिसमें इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देश भी शामिल हैं।’’
उच्चतम न्यायालय का फैसला दो याचिकाओं पर आया, जिसमें एक याचिका तेजाब हमले के पीड़ितों द्वारा दायर की गई थी, जो चेहरे की विकृति और आंखों में गंभीर जलन से पीड़ित हैं, इसके अलावा एक व्यक्ति 100 प्रतिशत दृष्टिबाधित है।
भाषा
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