कर्नाटक: भाजपा ने राज्यपाल से अपने 18 विधायकों का विधानसभा से निलंबन समाप्त करने का अनुरोध किया
वैभव मनीषा
- 28 Apr 2025, 04:47 PM
- Updated: 04:47 PM
बेंगलुरु, 28 अप्रैल (भाषा) विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत से अनुरोध किया कि विधानसभा से उसके 18 विधायकों के निलंबन को रद्द किया जाए।
उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया कि वह विधानसभा अध्यक्ष यू टी खादर को विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दें और उन्हें जनप्रतिनिधियों के रूप में अपनी जिम्मेदारियां फिर से संभालने में सक्षम बनाएं।
एक अभूतपूर्व कदम के तहत, 21 मार्च को कर्नाटक विधानसभा से 18 भाजपा विधायकों को ‘अनुशासनहीनता’ दिखाने और आसन का ‘अनादर’ करने के मामले में छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था और सदन से बाहर नहीं जाने पर उन्हें मार्शलों द्वारा बाहर निकाला गया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र और विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘....हम आपसे विनम्र निवेदन करते हैं कि कृपया कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष को राज्य में मुख्य विपक्षी दल के 18 विधायकों के निलंबन आदेश पर पुनर्विचार करने का निर्देश दें।’’
उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि ‘‘निलंबन रद्द किया जाए, ताकि संबंधित विधायक जन प्रतिनिधियों के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को फिर से निभाना शुरू कर सकें। और कर्नाटक राज्य में लोकतांत्रिक मूल्यों के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।’’
बजट सत्र के अंतिम दिन विधायकों के निलंबन का आदेश जारी किया गया था। भाजपा विधायकों ने सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया और सहकारिता मंत्री के एन राजन्ना के खिलाफ कथित ‘हनी-ट्रैप’ मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी।
विधानसभा के अंदर विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ भाजपा विधायक आसन वाले पोडियम पर चढ़ गए और उसे घेर लिया, जबकि कुछ अन्य ने आसन के पास से अध्यक्ष पर कागज फेंके। विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के बाद आसन को घेरने वाले भाजपा विधायकों को मार्शलों के माध्यम से बलपूर्वक बाहर निकाला गया।
राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में अशोक ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस का 18 विधायकों को निलंबित करने का फैसला ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘असंवैधानिक’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने देश पर आपातकाल थोपा और लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश की। विधानसभा में भाग लेना हमारा अधिकार है। लोगों ने विधायकों को विधानसभा में बोलने और विभिन्न विधायी समितियों के माध्यम से सरकार के कामकाज की निगरानी करने के लिए चुना है। यह हमारा कर्तव्य है और इसमें बाधा डाली जा रही है, इसलिए यह असंवैधानिक है।’’
उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह पहले ही विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से बात कर चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने राज्यपाल से मुलाकात की और संविधान तथा विभिन्न अदालती आदेशों के बारे में उनके संज्ञान में बातें लाईं। उन्होंने (राज्यपाल ने) कहा है कि वह सरकार को पत्र लिखेंगे और संबंधित मंत्री तथा विधानसभा अध्यक्ष से बात करेंगे। उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि निलंबन सत्र के लिए होना चाहिए था, छह महीने के लिए नहीं।’’
अपने फैसले को गैरकानूनी बताने के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए विधानसभा अध्यक्ष खादर ने कहा कि सभी को लोकतंत्र में अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है और सबकुछ संविधान तथा नियमों के अनुरूप होगा।
राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में भाजपा ने कहा कि विपक्ष के सदस्य के रूप में वे विरोध स्वरूप आसन के पास एकत्रित हुए थे। इसमें कहा गया है, ‘‘अध्यक्ष और सत्ताधारी पार्टी ने गलत तरीके से समझा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन से हमने सदन की मर्यादा के विरुद्ध आचरण किया है। परिणामस्वरूप, कर्नाटक विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम के नियम 348 के तहत 18 विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया और उन पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगा दिए गए।’’
निलंबित किए गए विधायकों में भाजपा के मुख्य सचेतक डोड्डान गौड़ा पाटिल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सी एन अश्वथ नारायण, एस आर विश्वनाथ, बी ए बसवराजू, एम आर पाटिल, चन्नाबसप्पा, बी सुरेश गौड़ा, उमानाथ कोट्यान, शरणु सालगर, डॉ. शैलेन्द्र बेलदाले, सी के राममूर्ति, यशपाल सुवर्णा, बी पी हरीश, भरत शेट्टी, धीरज मुनिराजू, चंद्रू लमानी, मुनिरत्न और बसवराज मत्तीमुद शामिल हैं।
भाषा वैभव