एनएचआरसी टीम ने मालदा में राहत शिविर का दौरा किया, राज्यपाल हिंसा प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना
शफीक सुरेश
- 18 Apr 2025, 09:25 PM
- Updated: 09:25 PM
मालदा/कोलकाता, 18 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस मुर्शिदाबाद में साम्प्रदायिक हिंसा भड़कने के कारण अपना घर-बार छोड़कर पलायन करने वाले पीड़ितों से मिलने के लिए शुक्रवार को पड़ोसी मालदा जिला पहुंचे। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनसे अपना दौरा टालने का अनुरोध किया था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के दलों ने भी आज मालदा पहुंचकर उन लोगों से मुलाकात की, जिन्होंने मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से भागकर एक अस्थायी शिविर में शरण ली है।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के समर्थन से अशांति को और भड़काने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
मालदा के वैष्णवनगर में परलालपुर हाई स्कूल राहत शिविर में रह रहे लोगों ने राज्यपाल के दौरे के दौरान विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस के अनुचित रवैये और आगंतुकों को प्रवेश न देने का आरोप लगाया।
शिविर के एक निवासी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह शिविर जेल से भी बदतर लगता है। पुलिस हमें किसी से मिलने और अपनी आपबीती बताने की अनुमति नहीं दे रही है।’’
बोस ने मालदा के लिए ट्रेन में सवार होने से पहले कोलकाता में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं (हिंसा प्रभावित) क्षेत्र में जा रहा हूं।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘मैं पीड़ितों से मिलूंगा, हिंसा प्रभावित क्षेत्र से प्राप्त रिपोर्ट की पुष्टि करुंगा, अस्पतालों, पीड़ितों के आवासों और राहत शिविरों का दौरा करुंगा। राज्य पुलिस और केंद्रीय बल साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि स्थिति जल्द सामान्य हो जाए। पीड़ितों से मुलाकात के बाद, मैं अपनी सिफारिशें भेजूंगा।’’
शिविर में राज्यपाल बच्चों से बातचीत करते और विस्थापित परिवारों की शिकायतों को धैर्यपूर्वक सुनते दिखाई दिए।
मुलाकात के बाद बोस ने कहा, ‘‘महिलाओं ने बताया कि असामाजिक तत्वों ने आकर उनके घरों पर हमला किया, उनकी संपत्ति लूटी और उन्हें जबरन बेदखल कर दिया गया।’’
रहने की अमानवीय स्थितियों के बारे में शिकायतों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह विस्तृत रिपोर्ट मांगेंगे और प्रशासन से बात करेंगे।
उनके साथ मौजूद राजभवन के अधिकारियों ने शिकायतों पर गौर किया।
कुछ देर के लिए स्थिति तब तनावपूर्ण हो गई, जब गुस्साए लोगों ने बैरिकेड तोड़ दिए और जिले के अधिकारियों को घेर लिया, पुलिस पर आरोप लगाया कि वे उन्हें मीडिया से बात करने या मिलने आए रिश्तेदारों से मुलाकात करने नहीं दे रहे हैं।
कई महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी उन्हें रात में बाहरी लोगों से बात न करने की धमकी दे रहे हैं।
शिविर में मौजूद एक महिला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पुलिस हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है। हमें सूखी रोटियां, केले और बासी चावल दिए जा रहे हैं। यह बताना मुश्किल है कि हम शरणार्थी शिविर में हैं या हिरासत केंद्र में।’’
एनएचआरसी ने हाल में मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा का स्वत: संज्ञान लिया था। एनएचआरसी सदस्यों ने मालदा के परलालपुर हाई स्कूल के शिविर में रह रहे प्रभावित परिवारों के सदस्यों से बात की।
हिंसा का स्वत: संज्ञान लेने वाले आयोग ने कहा कि उसने ‘‘स्थिति की गंभीरता’’ को देखते हुए एक तथ्यान्वेषी दल भेजने का फैसला किया है और तीन सप्ताह के भीतर एक विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है।
अधिकारियों ने पुष्टि की कि मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में फैली हिंसा में तीन लोग मारे गए हैं। कई स्थानीय निवासी अपनी जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर भाग गए और पड़ोसी जिले मालदा में शिविरों में रह रहे हैं।
इस बीच, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी महिलाओं पर हिंसा के प्रभाव का आकलन करने और पुनर्वास प्रयासों का निरीक्षण करने के लिए शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद का दो दिवसीय दौरा शुरू किया।
शिविर के निवासियों से बातचीत के बाद रहाटकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं यहां महिलाओं और बच्चों की स्थिति देखकर स्तब्ध हूं। उन्हें जबरन उनके घरों से निकाल दिया गया और वे अकल्पनीय पीड़ा से गुजर रहे हैं।’’
रहाटकर के साथ मौजूद एनसीडब्ल्यू सदस्य अर्चना मजूमदार ने आरोप लगाया कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई और उन्हें उनके घरों से निकाल दिया गया।
मजूमदार ने कहा, ‘‘उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। तृणमूल कांग्रेस क्या कर रही है? क्या सरकार पश्चिम बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाने की कोशिश कर रही है?’’
एनसीडब्ल्यू की टीम रात को मालदा में रुकेगी और शनिवार को मुर्शिदाबाद जाएगी। टीम जिले के अधिकारियों, पीड़ितों से मुलाकात कर सकती है और आखिर में रविवार को कोलकाता में राज्यपाल, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मुलाकात करेगी।
राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल ने राज्यपाल और दौरे पर आई केंद्रीय टीम की आलोचना की तथा उन पर राजनीतिक लाभ के लिए हालात को अस्थिर करने के प्रयास का आरोप लगाया।
तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘‘जब मुख्यमंत्री ने उनसे (बोस) अनुरोध किया था तो उन्हें इसका सम्मान करना चाहिए था। लेकिन उनका इरादा क्षेत्र में तनाव पैदा करना और परेशानी बढ़ाना है। एनसीडब्ल्यू और एनएचआरसी की टीम भी और परेशानी बढ़ाने में भाजपा को मदद करने के लिए क्षेत्र का दौरा कर रही हैं और वे नहीं चाहते कि क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल हो।’’
तृणमूल कांग्रेस पर पलटवार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने शुक्रवार को कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी घबराई हुई है, क्योंकि एनएचआरसी और राज्यपाल के दौरे से ‘‘तृणमूल और दंगाइयों के बीच सांठगांठ’’ का खुलासा हो सकता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि वोट बैंक के लिए दंगाइयों को संरक्षण दिया जा रहा है और तुष्टीकरण की राजनीति की जा रही है।
मजूमदार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘तृणमूल घबराई हुई है क्योंकि उन्हें पता है कि इन दौरों से हिंसा के जिम्मेदार लोगों के साथ उनके संबंधों का खुलासा हो जाएगा। वे अल्पसंख्यक वोट बैंक की राजनीति के लिए दोषियों को बचा रहे हैं।’’
वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के कुछ हिस्सों, मुख्य रूप से सुती, समसेरगंज, धुलियां और जंगीपुर में सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग बेघर हो गए।
भाषा शफीक