आंबेडकर जयंती मनाने को लेकर भाजपा और सपा के बीच सियासी रस्साकशी
मनीष सलीम नोमान सिम्मी
- 13 Apr 2025, 11:07 PM
- Updated: 11:07 PM
लखनऊ, 13 अप्रैल (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के एक दलित सांसद द्वारा राजपूत राजा राणा सांगा के खिलाफ की गई टिप्पणी से उपजे विवाद ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में दलितों के महत्व को सामने ला दिया है तथा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं मुख्य विपक्षी पार्टी सपा सियासी लिहाज से बेहद अहम दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की जुगत में लगी हैं।
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक, हाल में हुए विवाद और इसे लेकर दोनों दलों के सियासी शह-मात के खेल के कारण मतदाताओं में 21 फीसद की हिस्सेदारी रखने वाले दलितों पर ध्यान और बढ़ गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को एक पखवाड़े तक चलने वाले ‘आंबेडकर सम्मान अभियान’ की शुरुआत की, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं को सरकार की दलित-केंद्रित योजनाओं का प्रचार करने का काम सौंपा गया।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इटावा में आंबेडकर की एक प्रतिमा का अनावरण किया और उपस्थित लोगों को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कांशीराम को लोकसभा चुनाव जिताने में पार्टी की भूमिका की याद दिलाई। इस दावे की भाजपा ने आलोचना की।
सपा के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन ने पिछले महीने राणा सांगा को "गद्दार" कहकर विवाद खड़ा कर दिया था, जिस पर क्षत्रिय समुदाय की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। राजपूत गौरव की वकालत करने वाले जाति-आधारित समूह करणी सेना के कई कार्यकर्ताओं ने 26 मार्च को सांसद के आगरा स्थित आवास में तोड़फोड़ की थी।
अखिलेश यादव ने भाजपा पर सुमन के आगरा स्थित आवास पर करणी सेना के हमले का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
सुमन ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा कि उन्हें निशाना बनाया जाना दरअसल पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन पर हमला है।
पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं का एक वर्ग सपा की चुनावी रणनीति के लिहाल से बेहद महत्वपूर्ण है।
इस सप्ताह आगरा की अपनी निर्धारित यात्रा से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव दोनों ही दलितों में अपनी-अपनी पार्टी के जनाधार को मजबूत करने के उद्देश्य से राजनीतिक दांव खेल रहे हैं।
साल 2014 के बाद से उत्तर प्रदेश में भाजपा की चुनावी सफलता में दलितों और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) का समर्थन महत्वपूर्ण रहा है।
आदित्यनाथ ने हाल में भाजपा कार्यकर्ताओं से दलितों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का आग्रह करते हुए कहा था, ''जब तक हम लोगों के सामने सही तथ्य पेश नहीं करते, तब तक अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए लोगों को गुमराह करने वाले लोग (विपक्षी दल) दलितों और वंचितों को गुमराह करके उनका शोषण करते रहेंगे और देश में अराजकता पैदा करेंगे।’’
इस बीच, सपा प्रमुख ने हाल में भारतीय संविधान के विषय पर आधारित एक कार्यक्रम में जोर देकर कहा, ''हम (भाजपा को) बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान को नहीं बदलने देंगे।''
यादव ने आंबेडकर को एक अद्वितीय विद्वान, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक बताते हुए उनकी प्रशंसा की और कहा कि आंबेडकर के उनके प्रति हुए भेदभाव के अनुभव संविधान के निर्माण में बेहद अहम सबक थे।
इसके अतिरिक्त, आगरा का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में दलित मतदाताओं के महत्व को रेखांकित करते हुए लखनऊ में पदयात्रा का नेतृत्व किया।
इस बीच, दलित समर्थन को मजबूत करने के समाजवादी पार्टी के प्रयासों के तहत बसपा के संस्थापक सदस्य दद्दू प्रसाद हाल ही में यादव की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए।
भाषा मनीष सलीम नोमान