न्यायालय के फैसले से नौकरी गंवा चुके शिक्षकों ने बंगाल सचिवालय तक मार्च करने की चेतावनी दी
धीरज संतोष
- 05 Apr 2025, 10:49 PM
- Updated: 10:49 PM
कोलकाता, पांच अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय के फैसले की वजह से अपनी नौकरी गंवा चुके पश्चिम बंगाल के स्कूली शिक्षकों के एक मंच ने शनिवार को आह्वान किया कि यदि राज्य सरकार उनके मुद्दे का समाधान करने में विफल रहती है तो वे राज्य सचिवालय ‘नाबन्ना’ तक रैली निकालने सहित आंदोलन करेंगे।
उच्चतम न्यायालय द्वारा 2016 की भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाए जाने और नतीजे को रद्द कर दिए जाने के बाद राज्य संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों के 25,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
नौकरी गंवा चुके शिक्षकों ने दावा किया कि उनकी दुर्दशा का कारण स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) है जिसने उनकी नियुक्ति थी। उन्होंने कहा कि यह आयोग की अक्षमता थी जो धोखाधड़ी से नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों और ईमानदारी से नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों के बीच अंतर नहीं कर पाया।
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हस्तक्षेप की मांग करते हुए ‘‘चाकुरीप्रार्थी ओ चाकुरीहरादेर ऐक्यो मंच’ (नौकरी चाहने वालों और बेरोजगारों का संयुक्त मंच) ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री 15 अप्रैल तक गतिरोध को सुलझाएं अन्यथा वे 21 अप्रैल को ‘नाबन्ना’ की ओर मार्च करेंगे।
मंच के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारे पास वादे और आश्वासन बहुत हैं। या तो मुख्यमंत्री गतिरोध को हल करने के लिए पहल करें और सुनिश्चित करें कि एक भी बेदाग उम्मीदवार बेरोजगार न रहे, या फिर हम सड़कों पर उतरेंगे और आने वाले दिनों में आंदोलन को तेज करेंगे।’’
मंच ने अर्हता रखने वाले बेरोजगार स्कूली शिक्षकों के एक वर्ग का समर्थन प्राप्त होने का दावा किया। उसने राज्य के प्रवासी श्रमिकों से भी प्रस्तावित रैली में शामिल होने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि सात अप्रैल को वह नौकरी गंवाने वालों से मुलाकात करेंगी।
शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि उच्चतम न्यायालय एसएससी की दलील से संतुष्ट नहीं है और वह इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत से मार्गदर्शन करने का अनुरोध करेंगे।
शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को राज्य सरकार द्वारा संचालित और राज्य से सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया था, तथा पूरी चयन प्रक्रिया को ‘‘त्रुटिपूर्ण और विकृत’’करार दिया था।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल, 2024 के फैसले को बरकरार रखा।
भाषा धीरज