जबलपुर में पादरियों पर ‘हमले’ के चार दिन बाद प्राथमिकी दर्ज
सं दिमो शफीक
- 04 Apr 2025, 06:56 PM
- Updated: 06:56 PM
जबलपुर (मप्र), चार अप्रैल (भाषा) मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में दो कैथोलिक पादरियों पर कथित तौर पर दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किए जाने के चार दिन बाद, पुलिस ने शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज की।
अभी तक मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
एक दिन पहले, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सांसदों ने कथित हमले के विरोध में लोकसभा से बहिर्गमन किया था, क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं दी थी।
जबलपुर के पुलिस अधीक्षक सतीश कुमार साहू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमने भारतीय न्याय संहिता के तहत मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। (घटना के वीडियो में देखे गए) लोगों की पहचान कर ली गई है।’’
हालांकि, अधिकारी ने मामले के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी।
विपक्ष ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की और दावा किया कि यह सरकार और भाजपा-संघ परिवार द्वारा अल्पसंख्यकों पर हमला करने का एक और उदाहरण है।
जबलपुर कैथोलिक डायोसिस के विकर जनरल फादर डेविस जॉर्ज और जबलपुर डायोसिस कॉर्पोरेशन के सचिव फादर जॉर्ज थॉमस पर 31 मार्च को रांझी पुलिस थाना परिसर में कथित तौर पर हमला किया गया था।
डेविस जॉर्ज यहां स्थित सेंट एलॉयसियस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य हैं।
राष्ट्रीय ईसाई महासंघ (आरआईएम) के जबलपुर जिला समन्वयक अतुल जोसेफ के अनुसार, आदिवासी बहुल मंडला जिले के बच्चों और महिलाओं सहित लगभग 50 लोग ईस्टर से पहले उपवास की अवधि के दौरान जबलपुर में गिरजाघरों का दौरा कर रहे थे।
आरोप है कि इसी दौरान दक्षिणपंथी कार्यकर्ता जबरन उनकी बस को रांझी पुलिस थाने ले गए और उन पर आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का आरोप लगाया।
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कठोर कानून है।
जोसेफ ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘फादर डेविस और थॉमस तथा सेंट पीटर्स और पॉल कैथेड्रल के सचिव फेलिक्स बारला हिरासत में लिए गए कैथोलिकों की मदद के लिए रांझी पुलिस थाने गए।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें धक्का दिया गया और थप्पड़ मारे गए। एक वीडियो में महिला को एक पादरी को थप्पड़ मारते हुए देखा जा सकता है। कुछ समय बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के बाद तीर्थयात्रियों और पादरियों को रिहा कर दिया।
ईसाई समुदाय के 500 से अधिक सदस्यों ने बृहस्पतिवार को यहां विरोध प्रदर्शन किया और घटना पर कार्रवाई की मांग की।
भाषा सं दिमो