राष्ट्र निर्माण और संविधान की रक्षा करने में वकीलों ने उल्लेखनीय योगदान दिया है : शाह
धीरज दिलीप
- 09 Mar 2025, 10:12 PM
- Updated: 10:12 PM
अहमदाबाद,नौ मार्च (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि वकीलों ने राष्ट्र निर्माण, देश को आजादी दिलाने और भारत के संविधान को तैयार करने में अहम योगदान दिया है। उन्होंने साथ ही कहा कि कानूनी पेशा एक पवित्र कर्तव्य है।
शाह ने गुजरात बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में 11,000 युवा वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि वे संविधान की रक्षा और नागरिकों को न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में पेशेवर रूप से शामिल होने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज आप जिस पेशे में शामिल हो रहे हैं, वह सिर्फ एक पेशा नहीं है, बल्कि संविधान और लोकतंत्र को मजबूत करने और 140 करोड़ नागरिकों की संपत्ति, शरीर और सम्मान की रक्षा के लिए संविधान प्रदत्त अधिकारों को लागू करने का एक पवित्र कर्तव्य है।’’
शाह ने कहा कि इस न्यायिक प्रक्रिया ने संविधान की मूल भावना की रक्षा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कई महान स्वतंत्रता सेनानी और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोग प्रख्यात वकील थे।
उन्होंने वकीलों से कहा कि वे ऐसे समय में इस पेशे में शामिल हो रहे हैं, जब संविधान ने 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं, संसद ने तीनों आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल परिवर्तन किए हैं और नए कानून अपनाए हैं तथा देश अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
शाह ने कहा कि वे (वकील) संस्थापक सदस्यों द्वारा बनाए गए दूरदर्शी, पारदर्शी और समावेशी संविधान की रक्षा और सुचारू रूप से क्रियान्वयन की जिम्मेदारी से जुड़ेंगे।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि वकील ऐसे समय में शपथ ले रहे हैं, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन तलाक को खत्म करने और मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार देने, युवाओं और किशोरों को उनकी अपनी मातृभाषा में कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करने वाली नयी शिक्षा नीति लाने जैसे विभिन्न निर्णयों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित किया है।’’
शाह ने कहा कि आर्थिक न्याय के क्षेत्र में मोदी ने 39,000 कानूनों की जटिलताओं को समाप्त किया, बैंकों का विलय किया, फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की समस्याओं का समाधान किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया।
उन्होंने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 को खत्म करना, जिसका लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे, और पूर्वोत्तर में शांति सुनिश्चित करने के लिए 10 वर्षों में 12 बस्तियों तक पहुंचना राजनीतिक न्याय के उदाहरण हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के साथ कानून बनाने वाली संस्थाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना भी उसी दिशा में एक कदम है।’’
शाह ने कहा कि देश की जनता का न्यायपालिका पर भरोसा अभी भी कायम है, लेकिन अगर न्याय मिलने में 20 साल लगेंगे, तो यह भरोसा ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकता।
भाषा धीरज