धनखड़ ने छात्रों से कहा: किसी को भी अपनी कार्य-पद्धति को तय करने की अनुमति न दें
धीरज वैभव
- 05 Mar 2025, 07:16 PM
- Updated: 07:16 PM
चंडीगढ़, पांच मार्च (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को छात्रों को सलाह दी कि वे किसी को भी अपनी कार्य-पद्धति तय करने की अनुमति न दें और असफलता से नहीं डरें।
धनखड़ ने यह टिप्पणी सिरसा में जन नायक चौधरी देवी लाल विद्यापीठ (जेसीडी) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए की। इस मौके पर हरियाणा के मंत्री रणबीर गंगवा, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता एवं देवी लाल स्मारक न्यास के अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला, इनेलो विधायक तथा जेसीडी विद्यापीठ के अध्यक्ष अर्जुन चौटाला भी उपस्थित थे।
धनखड़ ने दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन की शुरुआत में उपस्थित लोगों से कहा कि वे हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखें। उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय हित से बड़ा कोई हित नहीं हो सकता। व्यक्तिगत और राजनीतिक हित महत्वहीन हैं।’’
धनखड़ ने विद्यार्थियों से अपने रुचि और योग्यता के अनुसार जीवन में कॅरियर चुनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘अपने जीवन को नदी की तरह बहने दें, नहर की तरह नहीं... एक समय था जब बच्चा पैदा होता था और माता-पिता यह निर्णय लेते थे कि उनके बच्चे को क्या कॅरियर चुनना है।’’
उपराष्ट्रपति ने उनसे कहा कि भारत आज युवाओं के लिए अनेक अवसर प्रदान करता है और उन्हें इसका लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप चारों ओर देखें तो आपके लिए अवसरों की भरमार है, यह नीली अर्थव्यवस्था में है, यह अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में है। आप ऐसे समय में भारत में हैं, जब पिछले दशक में कोई भी देश भारत जितना तेजी से नहीं बढ़ा है और इतना बड़ा नहीं हुआ है।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘चाहे वह आर्थिक विकास हो, अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे का विकास हो, डिजिटलीकरण हो... भारत में प्रति व्यक्ति इंटरनेट खपत चीन और अमेरिका की संयुक्त खपत से भी अधिक है।’’
डिजिटल लेनदेन के बारे में उन्होंने कहा कि ये अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के संयुक्त लेनदेन से चार गुना अधिक है।
धनखड़ ने कहा, ‘‘यदि हम अपनी अर्थव्यवस्था का अध्ययन करें तो पाएंगे एक दशक पहले हमारी अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर थी... लेकिन आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार करीब 700 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का है।’’
उन्होंने छात्रों से कहा, ‘‘आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जब भारत संभावनाओं से भरा पड़ा है। यहां एक पारिस्थितिकी तंत्र, सकारात्मक सरकारी नीतियां, सहायक नीतियां मौजूद हैं जो आपको अपनी प्रतिभा और क्षमता का दोहन करने तथा अपनी महत्वाकांक्षाओं और आकांक्षाओं को साकार करने का अवसर देती हैं।’’
धनखड़ ने कहा कि आज योग्यता का बोलबाला है और जब ऐसी स्थिति है तो छात्रों को बड़ा सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘कभी भी दबाव में न रहें, कभी भी तनाव में न रहें। और असफलता का डर जीवन की सबसे बुरी असफलता है, क्योंकि यह एक मिथक है, असफलता जैसा कुछ नहीं है। यह एक प्रयास है जो सफल नहीं हुआ है।’’
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से यह भी कहा कि यदि उन्हें कोई झटका लगे तो वे घबराएं नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभार होने वाली असफलता ही आपको बेहतर बनाती है।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘कुछ लोग इतने निराशावादी थे कि उन्होंने चंद्रयान-2 को असफल बताया... चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह के बहुत करीब पहुंच गया था लेकिन उसे छू नहीं सका। मेरे हिसाब से यह 90 प्रतिशत से अधिक सफल रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और यही कारण है कि चंद्रयान-3 सफल हुआ। इसलिए, असफलता एक मिथक है।’’
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि असफलता उन्हें और बेहतर बनने का मौका देती है और इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं जहां पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली।
धनखड़ ने विद्यार्थियों को सलाह दी कि यदि उनके पास कोई शानदार विचार है तो उन्हें उसे अपने मन में दबाए नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह आपके और मानवता के प्रति सबसे बड़ा अन्याय होगा। प्रयोग करें, लीक से अलग सोचें।’’
धनखड़ ने जेसीडी के विद्यार्थियों को संसद आने का निमंत्रण दिया और कहा कि यदि वे आगामी सत्र में संसद आएं तो उन्हें बहुत खुशी होगी।
इससे पहले धनखड़ ने अपनी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ सिरसा स्थित विद्यापीठ में चौधरी देवीलाल को श्रद्धांजलि दी।
भाषा धीरज