नक्सल प्रभावित बस्तर तक पहुंचेगा रेल नेटवर्क; अंतिम चरण में पहुंची स्थल सर्वेक्षण की प्रक्रिया
जोहेब मनीषा
- 27 Jun 2025, 01:22 PM
- Updated: 01:22 PM
नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर को तेलंगाना से जोड़ने के लिए प्रस्तावित 160 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक के लिए अंतिम स्थल सर्वेक्षण किया जा चुका है, जिसके बाद अब इस क्षेत्र में रेलवे लाइन एक वास्तविकता बन जाएगी।
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत नक्सल प्रभावित सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों को पहली बार रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।
कोठागुडेम (तेलंगाना) से किरंदुल (छत्तीसगढ़) तक प्रस्तावित 160 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के लिए अंतिम स्थल सर्वेक्षण अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है।
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय रेलवे अत्याधुनिक ‘लाइडर’ तकनीक का उपयोग करके सर्वेक्षण कर रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा व क्षेत्रीय विकास दोनों के लिए इसके अत्यधिक महत्व को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय पूरी प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के मजबूत समर्थन से सर्वेक्षण कार्य ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।
अधिकारियों ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य बस्तर के लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, व्यापार और आत्मनिर्भरता के नए रास्ते खोलना है।
उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन तीन राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ से गुजरेगी, लेकिन 138 किलोमीटर से अधिक का सबसे बड़ा हिस्सा छत्तीसगढ़ में है, जो कुछ सबसे दूरस्थ और अविकसित आदिवासी क्षेत्रों से गुजरेगा।
हालांकि कई खंडों में सर्वेक्षण कार्य तेजी से आगे बढ़ा है, लेकिन दंतेवाड़ा और बीजापुर में इसे बाधाओं का सामना करना पड़ा है।
इस वर्ष नौ जून को दंतेवाड़ा में स्थानीय ग्रामीणों ने सर्वेक्षण दल को रोका और उस पर हमला किया, जिससे दंतेवाड़ा में 26 किलोमीटर और बीजापुर में 35 किलोमीटर के हिस्से में काम रुक गया।
घटना की सूचना स्थानीय प्रशासन को दी गई, लेकिन उन इलाकों में काम अभी भी अधूरा है।
अधिकारियों ने बताया कि अंतिम स्थान सर्वेक्षण पूरा होने के बाद ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा सकेगी, जो निर्माण शुरू करने के लिए जरूरी है
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि केंद्र सरकार इस परियोजना को महज एक परियोजना नहीं बल्कि क्षेत्र में स्थायी शांति व समावेशी विकास के लिए एक प्रयास मानती है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ सतीश कुमार की ओर से छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को 26 जून, 2025 को लिखे गए पत्र के अनुसार, यह परियोजना अब निर्णायक मोड़ पर है।
भाषा जोहेब